इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पाकिस्तान समर्थक पोस्ट पर जमानत देने से किया इंकार

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अदालत ने कहा ‘राष्ट्र-विरोधी मानसिकता के प्रति सहनशीलता ठीक नहीं’

आगरा/प्रयागराज: २९ जून

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के समर्थन में फेसबुक पोस्ट साझा करने के आरोपी अंसार अहमद सिद्दीकी को जमानत देने से इंकार कर दिया है।

कोर्ट ने इस मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसी पोस्ट देश की संप्रभुता और एकता के खिलाफ हैं और राष्ट्र-विरोधी मानसिकता वाले व्यक्तियों के प्रति न्यायिक सहिष्णुता के कारण ऐसे अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की एकल पीठ ने कहा कि आरोपी का कृत्य संविधान और उसके आदर्शों के प्रति अपमानजनक था और भारत की संप्रभुता को चुनौती देने के बराबर है। कोर्ट ने यह भी कहा कि “असामाजिक और भारत विरोधी पोस्ट” भी भारत की एकता और अखंडता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती हैं।

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि 62 वर्षीय आरोपी, जो स्वतंत्र भारत में पैदा हुआ है, का यह गैर-जिम्मेदाराना और राष्ट्र-विरोधी आचरण उसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्रता के अपने अधिकार की सुरक्षा मांगने का हकदार नहीं बनाता है। कोर्ट ने अनुच्छेद 51-ए (ए) और (सी) का हवाला देते हुए कहा कि प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करे, उसके आदर्शों और संस्थानों का सम्मान करे, और भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखे।

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अभियोजन पक्ष के अनुसार, सिद्दीकी ने 3 मई को एक फेसबुक पोस्ट साझा की थी जिसमें “जिहाद का प्रचार करने, पाकिस्तान जिंदाबाद कहने और अपने भाइयों से पाकिस्तानी भाइयों का समर्थन करने की अपील” थी। इस पोस्ट ने कथित तौर पर राष्ट्रीय भावनाओं को ठेस पहुंचाई और संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ काम किया।

बचाव पक्ष के वकील ने आरोपी की उम्र और उसके चल रहे इलाज का हवाला देते हुए जमानत का अनुरोध किया। हालांकि, राज्य सरकार के वकील ने श्रीनगर के पहलगाम में 26 निर्दोष हिंदुओं की हत्या के बाद इस वीडियो के पोस्ट किए जाने का हवाला दिया और तर्क दिया कि यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि आरोपी धार्मिक आधार पर आतंकवादियों के कृत्य का समर्थन करता है।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने जमानत अर्जी खारिज कर दी और निचली अदालत को जल्द से जल्द मुकदमे का विचारण पूरा करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कहा,

“इस देश में ऐसे अपराध करना आम बात हो गई है, क्योंकि अदालतें राष्ट्रविरोधी मानसिकता वाले लोगों के ऐसे कृत्यों के प्रति उदार और सहनशील हैं। इस समय आवेदक को जमानत पर रिहा करना उचित मामला नहीं है।”

आरोपी के खिलाफ थाना छतारी, जिला बुलंदशहर में बीएनएस की धारा 197 और 152 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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मनीष वर्मा
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