17 साल बाद बिजली चोरी के आरोप से बरी हुए दो व्यक्ति, पुलिस की जांच पर सवाल

न्यायालय मुख्य सुर्खियां

आगरा, 17 जून 2025:

सिकंदरा थाना क्षेत्र में 17 साल पहले दर्ज बिजली चोरी के एक मामले में विशेष न्यायाधीश ई.सी. एक्ट माननीय ज्ञानेंद्र राव ने दो आरोपियों, छोटू पुत्र रमाकांत ठाकुर और देवेंद्र पुत्र मुरारी सिंह, को बरी कर दिया है।

गवाहों के बयानों में गंभीर विरोधाभास और पुलिस द्वारा बरामद किए गए कथित चोरी के तार को अदालत में पेश करने में विफल रहने के कारण न्यायालय ने यह फैसला सुनाया।

Also Read – आगरा में हाईकोर्ट बेंच की उम्मीद जगी, केंद्रीय क़ानून मंत्री ने दिया सकारात्मक संकेत

यह मामला 22 अक्टूबर, 2007 का है, जब तत्कालीन एस.आई. इंद्रराज शर्मा ने थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। उनकी शिकायत के अनुसार, वह एस.आई. हरवीर सिंह और पुलिसकर्मी सुरेश चंद के साथ क्षेत्र में गश्त पर थे। तभी मुखबिर से सूचना मिली कि शास्त्रीपुरम क्षेत्र में दो व्यक्ति खंभे से बिजली के तार काट रहे हैं।

पुलिस दल ने मौके पर पहुंचकर रात करीब 9:20 बजे छोटू (निवासी सिंगाइच, थाना जगनेर, जिला आगरा) और देवेंद्र (निवासी ग्राम चावली, थाना बरहन, जिला आगरा) को हिरासत में लिया। पुलिस ने दावा किया था कि उनके कब्जे से लगभग 30 किलो बिजली का तार बरामद हुआ था, जिसके बाद दोनों आरोपियों के खिलाफ विद्युत अधिनियम की धारा 138 के तहत कार्रवाई कर उन्हें जेल भेज दिया गया था।

अभियोजन पक्ष की ओर से वादी मुकदमा एस.आई. इंद्रराज शर्मा, एस.आई. हरवीर सिंह, अवर अभियंता विद्युत विभाग मुख्खी सिंह और निरीक्षक राजेश कुमार को अदालत में गवाही के लिए पेश किया गया।

हालांकि, सुनवाई के दौरान कई विसंगतियां सामने आईं। वादी मुकदमा ने एफआईआर में 30 किलो विद्युत तार बरामद होने का जिक्र किया था, जबकि अदालत में उन्होंने 70 किलो तार बरामद होने की बात कही।

Also Read – अपहरण का आरोपी बरी, गवाही से मुकरने पर वादिनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के आदेश

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह रही कि अवर अभियंता मुख्खी सिंह ने अपने बयान में कहा कि उन्हें यह याद नहीं कि वह घटना स्थल पर गए थे या नहीं और उन्हें यह भी नहीं मालूम कि पुलिस ने जो बरामदगी की वह सही थी या गलत। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें रिकवरी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। सबसे अहम, पुलिस बरामद किए गए बिजली के तार को अदालत में पेश नहीं कर सकी।

आरोपियों के अधिवक्ता रज भान सिंह यादव के तर्कों और गवाहों के बयानों में गंभीर विरोधाभास पाए जाने और बरामद माल को अदालत में पेश करने में पुलिस की विफलता को देखते हुए, विशेष न्यायाधीश ई.सी. एक्ट माननीय ज्ञानेंद्र राव ने 17 साल बाद दोनों आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया।

Stay Updated With Latest News Join Our WhatsApp  – Channel BulletinGroup Bulletin
विवेक कुमार जैन
Follow me

1 thought on “17 साल बाद बिजली चोरी के आरोप से बरी हुए दो व्यक्ति, पुलिस की जांच पर सवाल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *