पुलिस चौकी व दूकानों के ध्वस्तीकरण मामले में याचिका खारिज
आगरा /प्रयागराज १५ मई ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की जमीन पर वक्फ मदरसा पुलिस चौकी व दूकानें बनाकर दशकों तक किराया वसूली करता रहा और जब एन एच आई ने सडक चौड़ीकरण में पुलिस चौकी व दूकानों का ध्वस्तीकरण शुरू किया तो मदरसा वक्फ निषेधाज्ञा के लिए अदालत पहुंच गया।
कोर्ट ने कहा यह वक्फ बाई यूजर का मामला नहीं,यहां एन एच आई जमीन की मालिक है जिस पर मदरसा की दूकाने व पुलिस चौकी बनी हुई है जिसे प्राधिकरण हटा रहा है।
कोर्ट ने इस मामले में अधीनस्थ अदालत द्वारा सरकार की तरफ से दाखिल जवाबी हलफनामे में बदलाव की अर्जी स्वीकार करने की वैधता की चुनौती याचिका पर हस्तक्षेप से इंकार कर खारिज कर दी।W
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यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने वक्फ मदरसा कासिमुल उलूम की याचिका पर दिया है। मालूम हो कि याची वादी ने पुलिस चौकी गगलहरी व दूकानों के ध्वस्तीकरण पर रोक के लिए निषेधाज्ञा वाद दायर किया। कहा पुलिस चौकी 35 रूपये महीने के किराए पर पुलिस को दी गई थी। अब अलग थाना बन गया है।
पुलिस चौकी खाली है ताला लटका है। सरकार पुलिस चौकी व दूकानें गिरा रही है। सरकारी हलफनामे में किराए पर पुलिस चौकी स्वीकार की गई और कहा वक्फ संपत्ति पंजीकृत नहीं है। इसलिए वाद पोषणीय नहीं है। बाद में जवाबी हलफनामे में संशोधन अर्जी दी गई।
मदरसा वक्फ के स्वामित्व को नकारते हुए कहा गया कि जमीन एन एच आई की है। जिसको अदालत ने मंजूर कर लिया, इसके खिलाफ पुनरीक्षण अर्जी भी खारिज हो गई तो हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर अधीनस्थ अदालत के आदेश को सही करार दिया है।
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