कोरियर का पार्सल देने के नाम पर गेट खुलवाया और 6 बदमाशों ने हथियारो के बल पर लूटे थे लाखो के जेवर एवं नगदी
वादी मुकदमा उसकीं पत्नी एवं तत्कालीन थानाध्यक्ष न्यू आगरा की ही हुई थी गवाही दर्ज
आगरा 18 मार्च ।
कमला नगर जैसी पॉश कॉलोनी में 25 वर्ष पूर्व हुई लूट, डकैती एवं अन्य धारा में आरोपित तीन आरोपियों को विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावी क्षेत्र माननीय रनवीर सिंह नें गवाहों के बयानो मे गम्भीर विरोधाभास पर बरी करने के आदेश दियें।
थाना न्यू आगरा में दर्ज चर्चित मामले के अनुसार वादी मुकदमा राजेंद्र खंडेलवाल निवासी कमला नगर ने तहरीर दें, आरोप लगाया कि, वह 2 जून 1999 की दोपहर 12 बजे घर से फाउंड्री नगर स्थित अपनी फैक्टरी गये थे।
2.30 बजे करीब दो युवकों ने कोरियर का पार्सल देने के नाम पर उनकी पत्नी से दरवाजा खुलवा उनके नाम का पार्सल दिखा पीने के लिये पानी मांगा।इसी बीच चार हथियारबंद बदमाश भी अंदर आ गये।बदमाशों नें तमंचे, पिस्टल एवं चाकू से उनकी पत्नी श्रीमती उषा खंडेलवाल, पुत्र अभिषेक, पुत्री रुचि एवं घरेलू नौकरानी सोमवती को डरा धमका जेवर एवं नगदी की मांग की।एक बदमाश ने वादी के पुत्र की गर्दन पर चाकू रख पत्नी को जेवर नगदी देने को विवश कर दिया। बदमाशों द्वारा वादी के घर से लाखों के जेवरात एवं नगदी लूट ली गई। पत्नी द्वारा फोन से वादी को सूचित करनें पर उन्होंने उक्त मुकदमा दर्ज कराया था।
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वादी की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने विवेचना उपरांत मनीष पुत्र महेश चन्द, निवासी डबल स्टोरी, कमला नगर, बहादुर पुत्र पूरन चन्द निवासी बड़ का नगला, कमला नगर, सुंदर पुत्र घनशयाम निवासी कमला नगर के अतिरिक्त डब्बू, चमन एवं राजेन्द्र उर्फ राजू के विरुद्ध लूट, डकैती एवं माल बरामदगी आरोप में अदालत में आरोप पत्र प्रस्तुत किया था।
आरोपी डब्बू की मौत हो जाने पर उसके विरुद्ध कार्यवाही समाप्त कर दी गई।आरोपी चमन एवं राजेन्द्र उर्फ राजू की पत्रावली पृथक कर दी गई।
अभियोजन की तरफ से इतने वर्ष चलें विचारण उपरांत वादी मुकदमा राजेन्द्र खंडेलवाल, उनकीं पत्नी श्रीमती उषा खंडेलवाल एवं तत्कालीन थानाध्यक्ष न्यू आगरा धर्मपाल सिंह को ही गवाही हेतु अदालत में पेश किया।
अदालत द्वारा अनेक आदेश पारित करने के बाद भी अभियोजन पक्ष घटना के चश्मदीद वादी के पुत्र, पुत्री एवं नौकरानी को अदालत में गवाही हेतु पेश करने में विफल रहा।
वादी मुकदमा उसकीं पत्नी की गवाही में गम्भीर विरोधाभास थे । उनसें आरोपियों की शिनाख्त नहीं कराने एवं आरोपियो के वरिष्ठ अधिवक्ता सन्तोष दीक्षित के तर्क पर अदालत ने आरोपियों को बरी करने के आदेश दिये।
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