आगरा:
सास को पेट्रोल डालकर जलाने और हत्या करने के मामले में आरोपित पुत्रवधू श्रीमती साधना देवी को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे-18) माननीय संगीता कुमारी ने बरी कर दिया है।
यह फैसला इसलिए आया क्योंकि मृतका के पति, पुत्रों और पुत्री समेत सभी मुख्य गवाहों ने अदालत में अपने पहले के बयानों से मुकरते हुए कहा कि मृतका ने स्वयं आग लगाई थी।
मामला और आरोप:
मामला थाना एत्मादपुर का है, जहाँ वादी भागेन्द्र सिंह (मृतका के पति) ने अपनी पुत्रवधू श्रीमती साधना देवी (26 वर्ष, निवासिनी चावली) के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
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* भागेन्द्र सिंह का आरोप था कि 5 सितंबर 2024 की सुबह लगभग 5 बजे जब उनकी पत्नी श्रीमती भूरी देवी गाय के लिए भूसा निकालने कोठरी में गई थीं, तो पहले से योजना बना चुकी पुत्रवधू साधना ने उन पर पेट्रोल डालकर आग के हवाले कर दिया।
* चीख-पुकार सुनकर अन्य लोगों ने आग बुझाई और भूरी देवी को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहाँ 90 प्रतिशत जली हुई अवस्था में उनकी मृत्यु हो गई।
* पुलिस ने इस मामले में श्रीमती साधना देवी के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया था।
मृत्यु पूर्व बयान और गवाहों का पलटना:
सबसे अहम बात यह थी कि मृतका श्रीमती भूरी देवी ने स्वयं अपने मृत्यु पूर्व बयानों में मजिस्ट्रेट के सामने अपनी पुत्रवधू साधना पर जलाने का आरोप लगाया था।
हालांकि, जब मुकदमा अदालत में आया:
* मृतका के पुत्र नरेंद्र सिंह, गंभीर सिंह और पुत्री श्रीमती बेबी ने अदालत में गवाही दी कि उनकी मां ने स्वयं को आग लगाई थी।
* उन्होंने यह भी बयान दिया कि उनकी मां (मृतका) अपनी पुत्रवधू से नाराज थीं और उन्होंने यह बात मरने से पूर्व स्वयं स्वीकार की थी कि पुत्रवधू को सबक सिखाने के लिए उसके विरुद्ध बयान दिए थे।
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* मृतका के पति और वादी मुकदमा भागेन्द्र सिंह भी अदालत में अपने बयानों से मुकर गए।
एडीजे-18 ने अभियोजन पक्ष के गवाहों के इस तरह मुकर जाने और बयानों में विरोधाभास को देखते हुए, अभियुक्ता के अधिवक्ता एस. पी. सिंह सिकरवार के तर्कों को स्वीकार किया और श्रीमती साधना देवी को बरी करने का आदेश दिया।
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