आगरा के अधिवक्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय मुख्य सुर्खियां
कैशलेस इलाज योजना लागू क्यों नहीं हुई ?
केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन सचिव तलब
14 मार्च की डेडलाइन मिसः केंद्र सरकार पर अवमानना की तलवार लटकती
4.5 लाख घायलों को राहत पहुंचा सकती है कैशलेस इलाज योजना, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

आगरा /नई दिल्ली ९ अप्रैल ।

देश में हर साल लाखों लोग सड़क हादसों का शिकार होते हैं, जिनमें हजारों की मौत हो जाती है और लाखों लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। ऐसे समय में अगर घायल व्यक्ति को तुरंत इलाज न मिले, तो उसकी जान बचाना मुश्किल हो जाता है। इसी ‘गोल्डन आवर’ यानी हादसे के बाद के पहले एक घंटे में इलाज सबसे ज्यादा जरूरी होता है।

इसी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी 2025 को केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 162(2) के तहत एक ऐसी योजना बनाई जाए जिससे सड़क हादसों में घायल व्यक्तियों का कैशलेस इलाज सुनिश्चित किया जा सके। कोर्ट ने ये भी साफ कहा था कि यह योजना 14 मार्च 2025 तक हर हाल में बननी चाहिए और इसके लिए कोई अतिरिक्त समय नहीं दिया जाएगा।

यह आदेश अधिवक्ता के0सी0 जैन द्वारा प्रस्तुत याचिका पर पारित किये गये थे । इसी मामले में बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से उपस्थित अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बैनर्जी ने बताया कि तकनीकी दिक्कतों के कारण योजना लागू नहीं हो पाई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को 28 अप्रैल 2025 को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर यह बताने का आदेश दिया है कि अभी तक आदेश का अनुपालन क्यों नहीं हुआ ?

अवमानना की चेतावनी :

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुआन की पीठ ने कहा कि अगर कोर्ट को यह संतोषजनक कारण नहीं मिले कि योजना समय पर लागू क्यों नहीं हुई, तो केंद्र सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जा सकती है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि, जब तक शीर्ष अधिकारियों को अदालत में नहीं बुलाया जाता, तब तक वे कोर्ट के आदेशों की गंभीरता को नहीं समझते हैं।

भारत में सड़क हादसों में घायल होने वाले लोगों की संख्या चिंताजनक :

वर्ष           घायल लोग
2018       4,64,715
2019       4,49,360
2020       3,46,747 (कोविड वर्ष)
2021       3,84,448 (कोविड वर्ष)
2022       4,43,366

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि हर साल औसतन 4.5 लाख से ज्यादा लोग सड़क दुर्घटनाओं में घायल होते हैं। यदि यह कैशलेस इलाज योजना लागू होती है, तो लाखों लोगों को तत्काल इलाज मिल सकेगा और हजारों जानें बचाई जा सकती हैं।

योजना का प्रारूप तैयार, लेकिन देशव्यापी क्रियान्वयन नहीं :

केंद्र सरकार ने योजना का प्रारूप तैयार कर लिया है और पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यह योजना कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों जैसे चंडीगढ़, असम, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा और पुडुचेरी में लागू भी हो चुकी है। इस प्रारूप के अनुसार, सड़क हादसे में घायल किसी भी व्यक्ति को 7 दिनों तक अधिकतम ₹1,50,000/- तक का मुफ्त (कैशलेस) इलाज उपलब्ध कराया जाएगा।

लेकिन अभी तक यह योजना पूरे देश में लागू नहीं की गई है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना मानी जा रही है।

अन्य याचिकाओं पर भी सुनवाई

अधिवक्ता के.सी. जैन द्वारा दाखिल एक और याचिका पर भी सुनवाई हुई, जिसमें उन्होंने सड़क हादसों में घायल और मृतकों के परिजनों को “अंतरिम मुआवजा” देने की मांग की है। यह मांग मोटर वाहन अधिनियम की धारा 164ए के तहत की गई है, जिसके तहत केंद्र सरकार को मुआवजा योजना बनानी थी। इस पर न्यायमित्र श्री गौरव अग्रवाल ने भी योजना की आवश्यकता को उचित ठहराया। इस याचिका पर अब 28 अप्रैल 2025 को सुनवाई होगी।

अन्य मुद्दों पर भी सुप्रीम कोर्ट की सख्ती

स्पीड गवर्नर लगाने की याचिकाः

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों से जवाब मांगा है कि उन्होंने ट्रांसपोर्ट वाहनों में स्पीड गवर्नर फिट करने के लिए केंद्र की एडवाइजरी पर क्या कार्रवाई की है। सुनवाई अब जुलाई 2025 के बाद होगी।

डेटा इंटीग्रेशन की याचिकाः

विभिन्न पोर्टलों (बीमा, प्रदूषण प्रमाण पत्र, आयु-फिटनेस, स्पीड गवर्नर) की जानकारियों को ई-चालान सिस्टम से जोड़ने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार को पहले ही नोटिस दिया जा चुका है। जल्द ही इसकी भी सुनवाई तय की जाएगी।

अधिवक्ता व याची के.सी. जैन ने कहा,

सड़क सुरक्षा का विषय एक से अधिक विभागों, एजेंसियों, केंद्र व राज्य सरकारों से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट की सक्रियता ही सभी को एक मंच पर लाकर सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में ठोस बदलाव ला सकती है।

यदि यह योजना पूरे देश में लागू होती है, तो हजारों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं और हम सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन के साक्षी बन सकते हैं। केन्द्र सरकार भी सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिये संकल्पित है।

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विवेक कुमार जैन
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