आगरा: वैदिक सूत्रम चेयरमैन एवम द टाइम्स ऑफ एस्ट्रोलॉजी के संस्थापक एवम मुख्य संपादक एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि ब्रह्मांड के न्यायाधीश शनि ग्रह और सम्पूर्ण विश्व की कानून व्यवस्था कहीं न कहीं एक दूसरे से जुड़ीं हुई है, शनिदेव की धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य पुत्र शनिदेव को देवों के देव महादेव ने कर्मा-दंडाधिकारी नियुक्त किया है इसलिए शनि देव को ब्रह्मांड का न्यायाधीश कहा जाता है, शनि देव का रंग काला वैदिक हिन्दू ज्योतिष के अनुसार माना जाता और उनके बड़े भाई काल के देवता यमराज हैं, कुल मिलाकर कहीं न कहीं भारतीय एवम अंतर्राष्ट्रीय न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीश एवम सभी अधिवक्ता न्यायालय में काले कोट का ही इस्तेमाल करते हैं, जिसको शनि का रंग माना गया है। कुल मिलाकर जितने भी मनुष्यों द्वारा अपराध होते हैं वो ज्यादातर अंधेरे में ही होते हैं, और अंधेरों का बादशाह शनि को कहा जाता है, कुल मिलाकर जो भी अपराध मनुष्य से जाने अनजाने में होते हैं वो ब्रह्मांड के न्यायाधीश शनि ग्रह की नजर में होते हैं, चाहे वो अपराध सामान्य आम जनमानस कर रहा हो या शासन या न्यायालय में सर्वोच्च पद पर विराजमान व्यक्ति ही क्यों न कर रहा हो वो व्यक्ति भी शनि की उपयुक्त दंड देने की समयावधि आने पर शनि के न्याय प्रणाली से बच नहीं पाता है, एक न एक दिन उस व्यक्ति को शनि की निष्पक्ष न्याय व्यवस्था से दंडित होना पड़ता है।
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पंडित गौतम ने बताया हिंदू धर्म में, शनिदेव को न्याय और कर्म का देवता माना जाता है। वे व्यक्ति के कर्मों के अनुसार उपयुक्त समयावधि आने पर मनुष्यों को उनके कर्मों के अनुसार निष्पक्ष होकर दण्ड देते हैं। उनकी नित्य पूजा करने से जीवन में स्थिरता और सफलता मिलती है, ऐसा माना जाता है। कुल मिलाकर शनि की नित्य आराधना करने से व्यक्ति के आंतरिक विकारों का स्वत ही नाश होने लगता है और व्यक्ति वास्तविक मोक्ष की तरफ अग्रसर होने लगता है।
एस्ट्रोलॉजर पंडित गौतम ने बताया भारतीय कानून भी निष्पक्ष न्याय पर आधारित है। भारतीय संविधान के अनुसार, सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता का अधिकार है। कानून का उद्देश्य समाज में न्याय स्थापित करना और अपराधों को रोकना है। कुल मिलाकर शनिदेव और कानून में समानताएं कर्म और फल: दोनों ही संदर्भों में देखी गई हैं, शनि की निष्पक्ष न्याय व्यवस्था में व्यक्ति के कर्मों के अनुसार सकारात्मक और नकारात्मक फल मिलता है। कानून में, अपराध करने पर व्यक्ति को सजा मिलती है, जबकि धर्म में, बुरे कर्मों के लिए दुख और अच्छे कर्मों के लिए सुख मिलता है। वैदिक हिंदू फलित ज्योतिष के अनुसार शनिदेव न्याय के देवता हैं और कानून का उद्देश्य भी न्याय स्थापित करना है। निम्नलिखित बिंदुओं से शनिदेव और कानून एक दूसरे से कहीं न कहीं जुड़े हुए हैं उसे समझने की कोशिश करते हैं।

संतुलन:-शनिदेव कानून की तरह ही जीवन में संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
धर्म और राज्य:- शनिदेव धार्मिक विश्वास से जुड़े हैं, जबकि कानून एक धर्म निरपेक्ष संस्था है।
व्यक्तिगत और सामाजिक:- शनिदेव व्यक्तिगत स्तर पर कर्मों के अनुसार फल देते हैं, जबकि कानून सामाजिक स्तर पर व्यवस्था बनाए रखता है।
पंडित गौतम ने बताया कि शनिदेव और कानून, दोनों ही जीवन में न्याय और व्यवस्था स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हम शनिदेव की पूजा करते हुए यह प्रार्थना कर सकते हैं कि हम हमेशा अच्छे कर्म करें ताकि हमें अच्छे फल मिलें, साथ ही हमें कानून का पालन करना चाहिए ताकि समाज में शांति और व्यवस्था बनी रहे।
कुल मिलाकर शनिदेव और भारतीय कानून, दोनों ही जीवन में न्याय और कर्म के सिद्धांतों पर आधारित हैं। शनिदेव की धार्मिक मान्यताएं हैं और भारतीय कानून की भी अर्थात दोनों ही किसी न किसी रूप में हमें अच्छे कर्म करने और न्यायपूर्ण जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं।

शनिदेव के धार्मिक महत्व और भारतीय कानून के बीच एक सामान्य तुलना है। शनिदेव की पूजा करने के कई तरीके हैं, जैसे कि शनिवार का व्रत रखना, तेल का दान करना आदि, असहाय आम जनमानस के प्रति सेवा का भाव रखना।
कुल मिलाकर भारतीय कानून बहुत विस्तृत है और इसमें कई तरह के कानून शामिल हैं, जैसे कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता ,सिविल प्रक्रिया संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम आदि जिनके आधार पर कानून के अनुसार दंड का निर्धारण किया जाता है।
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