आगरा अदालत में दाखिल राणा सांगा वाद पोषणीय न मानते हुए अदालत ने किया निरस्त

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आगरा १८ अप्रैल ।

आगरा सिविल जज(सी० डि०) माननीय अचल प्रताप सिंह ने उनकी अदालत में चल रहे राणा सांगा वाद को पोषणीय न मानते हुए निरस्त कर दिया।

वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि 24 मार्च को न्यायालय ने सुनवाई करते हुए केस को वादी के केस दायर करने के अधिकार व पोषणीयता पर सुनवाई के लिए 10 अप्रैल की तिथि नियत की थी।

10 अप्रैल को वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने वादी के अधिकार, न्यायालय के क्षेत्राधिकार व पोषणीयता पर बहस की थी।

माननीय न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि वादीगण जिस तथ्य को उदघोषित करवाना चाहते है। वह इतिहास का प्रश्न है न कि तथ्य और जिस बयान के एवज में उदघोषणा करवाना चाहते है वह संसद में दिया बयान है। जिस कारण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 के संसदीय विशेषाधिकार के कारण कार्यवाही नहीं की जा सकती।वादी अधिवक्ता ने बताया कि माननीय न्यायालय का आदेश पूर्वाग्रह से ग्रसित है ।

उन्होंने अपने वाद पत्र में यह कहीं नहीं लिखा कि विपक्षी रामजीलाल सुमन ने यह बयान संसद में दिया । जबकि सिविल केस में वाद की पोषणीयता वादपत्र में लिखे कथनों के आधार पर तय होती है।बिना रामजीलाल सुमन के लिखित जबाब के न्यायालय को कैसे पता कि वह बयान संसद में दिया गया है और हर ऐतिहासिक प्रश्न एक तथ्य होता है।

वादीपक्ष न्यायालय के आदेश के विरूद्ध जिला जज के न्यायालय में रिवीजन दायर करेगा।

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विवेक कुमार जैन
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