आगरा की छात्रा का मुकदमा किया खारिज
छात्रा ने बीए/एलएलबी के पांच वर्षीय कोर्स हेतु लिया था एडमिशन
हॉस्टल में एसी रूम की सुविधा नहीं होने पर निरस्त करा दिया था एडमिशन
मोदी विश्वविद्यालय सीकर राजस्थान ने 1,47,700/- रुपये किये थे वापस
50 हजार 500 वापस नहीं करने पर छात्रा ने किया था मुकदमा
यूजीसी के नियम के तहत बीस प्रतिशत राशि को कम करके भुगतान वापस करना स्थाई लोक अदालत ने सही मान खारिज किया मुकदमा
आगरा 08 अप्रैल ।
स्थाई लोक अदालत की अध्यक्ष माननीय शोभा पोरवाल, सदस्य हेमलता एवं पदमजा शर्मा ने आगरा की छात्रा का मुकदमा खारिज कर मोदी विश्विद्यालय सीकर राजस्थान के पक्ष में आदेश पारित करने के आदेश दिये।
मामलें के अनुसार वादनी मुकदमा नंदनी गोयल निवासनी कर्मयोगी एंक्लेव, कमला नगर, जिला आगरा ने मोदी विश्वविद्यालय द्वारा कुलपति लक्ष्मण गढ़, सीकर राजस्थान एवं एजीएम एडमिशन मोदी विश्विद्यालय लक्ष्मण नगर, सीकर राजस्थान अजय भसीन को पक्ष कार बना स्थाई लोक अदालत में मुकदमा दायर कर कथन किया कि उसने विपक्षी के विश्विद्यालय से बीए /एलएलबी पांच वर्षीय कोर्स हेतु वर्ष 2018 में आवेदन किया था।
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इस हेतु विपक्षी नें होटल मान सिंह पैलेस आगरा में कैम्प का आयोजन किया था। जुलाई 2018 में वादनी ने एडमिशन लें 1,98,200/- रुपये जमा किये थे। जिसमें एडमिशन फीस, काशन मनी, डवलपमेंट फीस, बोर्डिंग फीस, एक्जाम फीस एवं विविध चार्ज शामिल थे।
छात्रा का आरोप था कि विश्वविद्यालय द्वारा 31 जुलाई 2018 को उसे नॉन एसी रूम एलॉट किया। जबकि उससे चार्ज एसी रूम का लिया गया । छात्रा द्वारा असुविधा होने पर दो दिन बाद एडमिशन निरस्त करा मोदी विश्व विद्यालय से अपनी फीस वापस मांगने पर विश्व विद्यालय ने 1,47,700/- रुपयें छात्रा को वापस कर शेष 50 हजार 500 रुपये रोक लिये।
जिस पर छात्रा द्वारा उक्त मुकदमा किया गया था। स्थाई लोक अदालत ने दोनों पक्षों कें तर्क सुनने के उपरांत विपक्षी के द्वारा दिये गये तर्क कि उन्होंने यूजीसी द्वारा पारित दिशा निर्देशों के अनुसार ही वादनी को 80 प्रतिशत राशि वापस कर 20 प्रतिशत राशि डिडेक्ट करने के तर्क पर छात्रा का वाद खारिज कर उसे राहत देने से इंकार कर दिया।
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