आगरा ४ जून ।
दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट माननीय अचल प्रताप सिंह ने आरोपी मोहम्मद सरफराज और उसकी मां आमना खातून को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। यह मामला 2017 में दर्ज किया गया था, जब वादी ने अपनी बेटी की शादी आरोपी सरफराज से तय की थी।
शिकायतकर्ता, सलामुद्दीन (निवासी भगवती विहार, बोदला, थाना जगदीशपुरा) ने 5 दिसंबर 2017 को मोहम्मद सरफराज (पुत्र रिहाजुद्दीन, निवासी महमूद नगर, थाना कोतवाली, जिला मैनपुरी) से अपनी बेटी कुमारी हसनम बानो की शादी तय की थी। शादी तय करते समय सलामुद्दीन ने कथित तौर पर सरफराज के हाथ पर 2 लाख रुपये, एक अंगूठी और मिठाई रखी थी।
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वादी ने शादी समारोह के लिए एस.डी. रिसोर्ट मैरिज होम, हलवाई आदि बुक कर लिए थे और शादी के कार्ड भी बांटने शुरू कर दिए थे। हालांकि, 20 अक्टूबर 2017 को आरोपी ने कथित तौर पर फोन कर दहेज में होंडा सिटी कार की मांग की और मांग पूरी न होने पर रिश्ता तोड़ने की धमकी दी। इसके बाद, 22 अक्टूबर 2017 को आरोपी ने कार देने से मना करने पर वादी के घर आकर उसकी पत्नी और बेटी के साथ अभद्रता की। वादी की तहरीर पर आरोपी और उसकी मां के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
अदालत में सुनवाई के दौरान, वादी और उसकी पत्नी अपने पूर्व के बयानों से मुकर गए। सबूतों के अभाव में और आरोपियों के अधिवक्ता हरेश कुमार चतुर्वेदी के तर्कों को स्वीकार करते हुए, अदालत ने आरोपी मां और बेटे को बरी करने का आदेश दिया।
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1 thought on “दहेज मामले में मां-बेटे बरी, गवाह पलटे”