मद्रास हाईकोर्ट ने बिजली के झटके से गाय की मौत पर तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड को दिया मुआवजा देने का आदेश

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कोर्ट ने कहा ‘जानवरों के पास अधिकार नहीं, राज्य के तंत्र को सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना चाहिए’

आगरा / मद्रास 27 सितंबर।

मद्रास हाईकोर्ट ने ऐसे व्यक्ति को मुआवजा देने का आदेश दिया, जिसकी गाय बिजली के झटके से मर गई थी क्योंकि वह पास के ट्रांसफॉर्मर से बिजली के रिसाव के कारण गड्ढे में गिर गई थी।

जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने कहा कि हालांकि जानवरों के पास कोई अधिकार नहीं है, लेकिन राज्य का कर्तव्य है कि वह उनके लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करे।

न्यायाधीश ने कहा कि अदालतों का कर्तव्य है कि वे “पैरेंस पैट्रिया क्षेत्राधिकार” का उपयोग करके जानवरों के अधिकारों का ख्याल रखें, क्योंकि वे खुद की देखभाल करने में असमर्थ हैं।

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अदालत ने कहा,

“भले ही जानवरों के पास अधिकार नहीं हैं, लेकिन राज्य और उसके तंत्र और स्थानीय निकायों का उनके प्रति कर्तव्य है। इस कर्तव्य को अदालतें लागू कर सकती हैं। मेरा मानना है कि राज्य, उसके तंत्र और निगमों, नगर पालिकाओं और पंचायतों सहित स्थानीय निकायों का सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना दायित्व है।”

अदालत ने कहा कि हाल ही में प्लास्टिक के सेवन के कारण गायों का प्राकृतिक जीवनकाल भी कम हो गया है। अदालत ने कहा कि प्लास्टिक के सेवन से होने वाली मौत अलग है, क्योंकि ऐसे मामलों में, मृत्यु धीरे-धीरे और दिखाई न देने वाले घातक तरीके से होती है और साथ में गंभीर दर्द भी होता है।

अदालत ने यह भी कहा कि पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम से संबंधित कानून इस पहलू पर चुप है। समय आ गया है कि इस परेशान करने वाली वास्तविकता पर ध्यान दिया जाए और समाधान निकाला जाए।

अदालत ने कहा कि नगर पालिकाओं और निगमों का कर्तव्य है कि वे सड़कों को गंदगी से मुक्त रखें और दोषी संस्थाओं के खिलाफ हर्जाने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए।

अदालत ने कहा,

“अगर बिजली के झटके से मौत होती है तो कारण स्पष्ट है। प्लास्टिक के सेवन से मौत स्पष्ट नहीं है। पहले के मामले में मृत्यु तुरंत होती है। दूसरे के मामले में मृत्यु धीरे-धीरे और दिखाई न देने वाले घातक तरीके से होती है और साथ में गंभीर दर्द भी होता है। “

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वर्तमान मामले में न्यायालय ने पाया कि पोखर 100 केवीए के बिजली ट्रांसफार्मर के पास था, जिसकी बाड़ नहीं लगी थी। गाय पोखर में चली गई थी और बिजली के रिसाव के कारण करंट लगने से उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टि हुई।

इस प्रकार, याचिकाकर्ता ने अपनी गाय के नुकसान के लिए मुआवजे की मांग करते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (TANGEDCO) के सरकारी वकील ने याचिका की स्थिरता पर सवाल उठाया और तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को अधिकार क्षेत्र वाले सिविल न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए था।

न्यायालय ने पाया कि तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (TANGEDCO)बिजली के रिसाव को रोककर सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के अपने कर्तव्य में विफल रहा है। इसलिए याचिकाकर्ता को मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी है। न्यायालय ने कहा कि यदि कोई तथ्यात्मक विवाद होता तो न्यायालय मामले को सिविल न्यायालय में भेज देता।

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हालांकि, वर्तमान मामले में, चूंकि कोई तथ्यात्मक विवाद नहीं था, इसलिए न्यायालय ने तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (TANGEDCO) को आठ सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को 50,000/- रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।

केस टाइटल: टी. मुथु इरुलप्पा बनाम राज्य और अन्य

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साभार: लाइव लॉ

विवेक कुमार जैन
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