आगरा में चल रहे कंगना रनौत के मामले में कंगना की ओर से हाजिर हुई उनकी अधिवक्ता

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जवाब के लिए मांगा समय, कोर्ट ने नियत की 18 मार्च की तिथि

आगरा 27 फ़रवरी ।

देश के किसानों के अपमान एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अहिंसात्मक सिद्धांत के अपमान तथा 1947 में मिली आजादी को महात्मा गांधी के भीख के कटोरे में मिली बताने पर कंगना रनौत के विरुद्ध दायर वाद में आज गुरुवार को कंगना रनौत की ओर से महिला अधिवक्ता अनुश्रिया चौधरी जो सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता हैं ने अपना वकालत नामा प्रस्तुत किया तथा कंगना की ओर से जवाब के लिए कोर्ट से समय मांगा। कोर्ट ने 18 मार्च 2025 की तिथि कंगना के जवाब हेतु नियत कर दी है।

इस संबंध में प्रभारी निरीक्षक न्यू आगरा धर्मेंद्र सिंह भाटी ने भी आज कोर्ट में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि उपरोक्त संबंध में अंतर्गत धारा 225 (1 ) के तहत जांच मुझ प्रभारी निरीक्षक द्वारा की गई जिसमें आवेदक वादी पक्ष द्वारा अपना पक्ष प्रस्तुत किया गया है जो संलग्न है। परंतु प्रतिवादी पक्ष कंगना के विद्वान अधिवक्ता से दिल्ली में जाकर वार्ता की गई तो अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा है। अभी तक अपना पक्ष अथवा बयान प्रस्तुत नहीं किया है ।उसके लिए जारी है। साथ ही कोर्ट से इंस्पेक्टर न्यू आगरा ने अग्रिम आदेश जारी करने का भी अनुरोध किया है।

ज्ञातव्य है कि राजीव गांधी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा एडवोकेट ने हिमाचल के मंडी क्षेत्र से भाजपा सांसद एवं प्रसिद्ध अभिनेत्री कंगना रनौत के विरुद्ध 11 सितंबर 24 को एक वाद दायर किया था। जिसमें उन्होंने कहा कि कंगना रनौत ने 26 अगस्त 2024 को एक बयान दिया जिसमें कहा कि काले कानूनों के विरोध में जो किसान दिल्ली बॉर्डर पर धरने पर बैठे थे।

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वहां हत्याएं हो रही थी, बलात्कार हो रहे थे और अगर देश का नेतृत्व मजबूत नहीं होता तो अलगाव की स्थिति पैदा हो जाती । इसके साथ ही बाद में वरिष्ठ अधिवक्ता ने आरोप लगाया है कि कंगना रनौत ने 16 नवंबर 2021 को एक ट्वीट किया था जिसमें कहा था कि गाल पर चांटा खाने से भीख मिलती आजादी नहीं और 1947 में जो आजादी मिली वह महात्मा गांधी को भीख के कटोरे में मिली थी। इस तरह कंगना ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अहिंसात्मक सिद्धांत का अपमान किया है और 1947 में मिली आज़ादी को भीख के कटोरे में मिली बता कर देश के हजारों क्रांतिकारी शहीदों के त्याग और बलिदान तथा स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष का भी अपमान किया है।

कोर्ट ने ने वादी अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा एवं गवाहों राजेंद्र गुप्ता धीरज तथा अजय सागर निमेष के बयान दर्ज करने के बाद धारा 223 (1)के तहत कंगना को तीन बार उनके हिमाचल मंडी कुल्लू मनाली के पते पर तथा दिल्ली के पत्ते पर नोटिस भेज कर निर्देश दिया था कि कंगना इस बाबत स्वयं हाजिर होकर अथवा अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपना पक्ष रखें कि वह सुनवाई कराना चाहती हैं अथवा पक्ष प्रस्तुत करना चाहती है ।

लेकिन कोर्ट के तीनों बार के नोटिस प्राप्त होने के बाद भी कंगना ना तो स्वयं हाजिर हुई और ना ही कोई अधिवक्ता हाजिर हुआ। फिर भी कोर्ट ने कंगना को कई मौके दिए लेकिन 8 महीने बाद आज कंगना की ओर से उनकी अधिवक्ता अनुश्रिया चौधरी ने अपना वकालत नामा दाखिल कर कंगना रनौत की ओर से जवाब प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट से समय मांगा है।

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विवेक कुमार जैन
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