इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी पर व्यभिचार का आरोप तय किए बगैर परिवार अदालत नहीं दे सकती अंतरिम गुजारा भत्ता, मुद्दा विचारणीय

उच्च न्यायालय मुख्य सुर्खियां
हाईकोर्ट ने अंतरिम गुजारा भत्ता देने के आदेश पर लगाई रोक
पत्नी को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

आगरा /प्रयागराज 31 अक्टूबर ।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125(4) के अंतर्गत यदि पति द्वारा पत्नी पर व्यभिचार में लिप्त रहने का आरोप है तो परिवार अदालत पहले इस मुद्दे को तय करेगी और निष्कर्ष के बाद ही गुजारा भत्ता देने का आदेश दे सकती है।

कोर्ट ने कहा अपर प्रधान न्यायाधीश परिवार अदालत फिरोजाबाद के पत्नी को सात हजार अंतरिम गुजारा भत्ता देने के आदेश में व्यभिचार का मुद्दा तय नहीं किया गया है।

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कोर्ट ने अंतरिम गुजारा भत्ता देने के परिवार अदालत के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है और विपक्षी पत्नी को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।

आपराधिक पुनरीक्षण अर्जी की अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने याची पति की अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है। जिसमें परिवार अदालत फिरोजाबाद के 13 अप्रैल 23 को पारित अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई है। याची का कहना है कि पत्नी की धारा 125 की अर्जी पर आपत्ति में पति ने उस पर व्यभिचार में रहने का आरोप लगाया।

किंतु अदालत ने इसे तय नही किया और गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है। याची का कहना है कि धारा 125(4) के अनुसार बिना आपत्ति तय किए अदालत को गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी करने का अधिकार नही है। कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना है।

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मनीष वर्मा
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