इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका का लंबित रहना याची को अंतरिम आदेश या सुरक्षा नहीं

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हाईकोर्ट ने केपी ट्रस्ट अध्यक्ष की याचिका पर एक अप्रैल के आदेश में किया सुधार

आगरा /प्रयागराज ७ अप्रैल

जेड इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट के अध्यक्ष पद के चुनाव की पुनर्मतगणना के खिलाफ दाखिल याचिका पर गत एक अप्रैल के आदेश में सुधार करते हुए स्पष्ट किया कि वर्तमान याचिका का लंबित रहना याची (डॉ सुशील सिन्हा) को दी गई अंतरिम आदेश या सुरक्षा के रूप में नहीं माना जाएगा।

इस सुधार का निर्देश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने इस मामले में प्रस्तुत सुधार अर्जी का निस्तारण करते हुए सोमवार को दिया।

एडवोकेट सत्यव्रत सहाय के अनुसार सुधार अर्जी दाखिल कर गत एक अप्रैल के आदेश के अंतिम अनुच्छेद के बाद निम्नलिखित अनुच्छेद जोड़ने की प्रार्थना की गई कि वर्तमान याचिका की लंबितता को याची को दी गई अंतरिम आदेश या सुरक्षा के रूप में नहीं माना जाएगा।

कोर्ट ने मामले के दृष्टिकोण से और न्याय हित में इस मामले को सोमवार को एक अप्रैल का आदेश टाइप करने वाले निजी सचिव की नोटबुक के साथ रखने का निर्देश ताकि यह सत्यापित किया जा सके कि क्या इस आदेश का यह हिस्सा खुले अदालत में उन्हें निर्देशित किया गया था या नहीं ?

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सुनवाई के दौरान निजी सचिव ने सूचित किया है कि आदेश का हिस्सा, जो इस प्रकार है – वर्तमान याचिका की लंबितता को याची को दी गई अंतरिम आदेश या सुरक्षा के रूप में नहीं माना जाएगा, एक अप्रैल के आदेश में शामिल नहीं किया गया था।

यह तथ्य याची के अधिवक्ता केआर सिंह ने भी स्वीकार किया। इस पर कोर्ट ने आदेश में सुधार की अनुमति देते हुए स्पष्ट किया कि गत एक अप्रैल के आदेश की अनुच्छेद संख्या 6 के अंत में, निम्नलिखित शब्द “वर्तमान याचिका की लंबितता को याची को दी गई अंतरिम आदेश या सुरक्षा के रूप में नहीं माना जाएगा” को जोड़ा गया माना जाएगा।

गौरतलब है कि कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट के अध्यक्ष के चुनाव की फिर से मतगणना कराने की मांग को लेकर एसडीएम सदर की अदालत में मामला लंबित था। उन्होंने इस विवाद पर पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। 22 मार्च को एसडीएम कोर्ट ने पुनर्मतगणना का आदेश कर दिया और आदेश के तहत बीते शुक्रवार को

पुनर्मतगणना में चौधरी राघवेंद्र नाथ सिंह ने जीत हासिल कर ली। इस विवाद पर पहले से दाखिल इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई की अर्जी पर बीते मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने याचिका पर संशोधन अर्जी दाखिल करने का समय देते हुए सुनवाई के लिए 16 अप्रैल की तारीख लगाई थी।

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मनीष वर्मा
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