एम एल सी योगेश चौधरी के चुनाव की वैधता याचिका खारिज
प्रहलाद सिंह ने 92 दिन की देरी से दायर की थी चुनाव याचिका
आगरा/ प्रयागराज 03 अक्टूबर।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 81 के तहत दाखिल चुनाव याचिका की मियाद 45 दिन नियत है। कोर्ट इस धारा का पालन न करने पर याचिका खारिज कर देगी।
कोर्ट ने कहा इस कानून के तहत दाखिल चुनाव याचिका में मियाद कानून लागू नहीं होता। कोर्ट को याचिका दाखिल करने में हुई देरी की माफी का अधिकार नहीं है।
चुनाव याचिका सुनने वाली हाईकोर्ट संवैधानिक कोर्ट नही होती, उसे अंतर्निहित शक्तियां नहीं प्राप्त होती। वह जनप्रतिनिधित्व कानून के उपबंधो के तहत फैसला देगी।
इसी के साथ कोर्ट ने एम एल सी योगेश चौधरी के चुनाव की वैधता की चुनौती में दाखिल प्रहलाद सिंह की चुनाव याचिका खारिज कर दी है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने प्रहलाद सिंह की याचिका पर दिया है।
कोर्ट ने कहा एम एल सी का चुनाव 10 मार्च 24 को हुआ और चुनाव याचिका 30 जुलाई 24 को महानिबंधक के समक्ष पेश की गई। 92 दिन की देरी की गई। जबकि धारा 81 कहती है कि चुनाव याचिका 45 दिन में दाखिल की जानी चाहिए और धारा 86 कहती है की धारा 81 का पालन न करने पर हाईकोर्ट याचिका खारिज कर देगी।
हालांकि याची का कहना था कि विपक्षी ने छः आपराधिक केसों का खुलासा किया है किन्तु सातवें केस को छिपा लिया। जिसके आधार पर चुनाव रद्द किया जाये।
याची का यह भी कहना था कि उसने मुख्य चुनाव आयुक्त भारतीय निर्वाचन आयोग नई दिल्ली को 29 मार्च 24 को शिकायत की थी। कोई कार्रवाई न होने पर याचिका दायर की।
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कोर्ट ने संवैधानिक उपचार लेने का आदेश देते हुए याचिका 5 जून को खारिज कर दी। इसके बाद याची ने 12 जुलाई को चुनाव अधिकारी विधान सभा सचिवालय लखनऊ को शिकायत की इसके बाद बिना देरी किए चुनाव याचिका दायर की।
कोर्ट ने कहा चुनाव कानून में याचिका दायर करने में देरी की माफी का कोई उपबंध नहीं है और याचिका खारिज कर दी।
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