अदालत ने स्पष्ट किया कि गैर राज्य के लिए दी गई पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर दूसरे राज्य में मुकदमे की नहीं की जा सकती पैरवी
आगरा /प्रयागराज 03 दिसंबर।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व एमएलसी इकबाल राणा की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि ग़ैर राज्य के लिए दी गई पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी के आधार पर दूसरे राज्य में केस की पैरवी नहीं की जा सकती । पूर्व एमएलसी कि इकबाल राणा ने अपने एक परिचित तनसीफ के जरिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी ।
जिसमें कहा गया है कि इकबाल राणा ने तनसीफ को अपने मुकदमों की पैरवी करने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी दी है। क्योंकि वह व्यवसाय के सिलसिले में देश से बाहर है।
कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि पावर ऑफ अटॉर्नी दिल्ली की अदालतों और सुप्रीम कोर्ट में लंबित मुकदमों की पैरवी के लिए दी गई है । ऐसी स्थिति में यह नहीं माना जा सकता है कि इसके आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी मुकदमे की पैरवी भी की जा सकती है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल ने बसपा सरकार में एम एल सी रहे इकबाल उर्फ बाला की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।
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प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने याचिका का विरोध किया। कहा गया कि पावर ऑफ अटॉर्नी दिल्ली की अदालत में लंबित मुकदमों की पैरवी के लिए दी गई है। इस पावर ऑफ अटॉर्नी का उपयोग करके याचिका दाखिल की गई है जो की पोषणीय नहीं है।
इसी आधार पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की एक अन्य बेंच इससे पहले भी इकबाल की याचिका खारिज कर चुकी है । कोर्ट ने दलील को स्वीकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।
यह था मामला
इकबाल के खिलाफ 25 अगस्त 2022 को सहारनपुर के मिर्जापुर थाने में सामूहिक बलात्कार और जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस मुकदमे के सिलसिले में जारी गैर जमानती वारंट और कुर्की की कार्रवाई के बावजूद इकबाल ने विवेचना में सहयोग नहीं किया तो उसके खिलाफ विधिक आदेश का पालन नहीं करने का मुकदमा धारा 174ए आई पी सी की धारा में दर्ज कर लिया गया।
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इस मामले में पुलिस ने जांच करने के बाद चार्ज शीट दाखिल कर दी। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने इकबाल के खिलाफ दर्ज सामूहिक दुष्कर्म के मुकदमे को 8 अगस्त को रद्द कर दिया तथा इसके फल स्वरुप चल रही सभी अग्रिम कार्रवाई को भी रद्द कर दिया।
इसके बाद इकबाल ने अपने खिलाफ विधिक मुकदमे का पालन न करने को लेकर दाखिल धारा 174ए आई पी सी के मुकदमे की आरोप पत्र रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। यह याचिका उसने पावर ऑफ अटॉर्नी तनसीफ के माध्यम से दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दी।
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