आरोपित एसवीओजीएल ऑयल गैस एंड एनर्जी लिमिटेड के संयुक्त प्रबंध निदेशक की जमानत मंजूर
आगरा /प्रयागराज 15 नवंबर ।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जमानत याचिका लंबित रहने के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से सीधे संवाद करने के लिए मनी लांड्रिंग मामले में आरोपित का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील की खिंचाई की।
वकीलों ने ईडी के जांच अधिकारी (आईओ) को दो ईमेल भेजकर मामले में देरी से बचने के लिए अदालत के आदेश के अनुसार जमानत मामले में जवाब दाखिल करने का अनुरोध किया था।
न्यायमूर्ति समित गोपाल ने याची के अधिवक्ताओं के आचरण पर कड़ी आपत्ति जताई।

उन्होंने कहा कि यदि जवाब दाखिल करने संबंधी आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है तो बेंच को सूचित करना था।
हालांकि कोर्ट ने अपीलार्थी एसवीओजीएल ऑयल गैस एंड एनर्जी लिमिटेड के संयुक्त प्रबंध निदेशक आरोपित पदम सिंघी को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) में जमानत दे दी।
कोर्ट ने कहा, ई-मेल भेजना और अधिकारियों को कोर्ट के आदेशों की याद दिलाना और उनसे इसका अनुपालन का अनुरोध करना, मामले में पेश होने वाले वकील के कर्तव्यों में नहीं है। इस संबंध में न्यायालय ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पेशेवर आचरण नियमों का भी उल्लेख किया।
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इनमें कहा गया है कि “एक वकील किसी भी तरह किसी भी पक्ष के साथ विवाद के विषय पर संवाद या बातचीत नहीं करेगा।” बचाव पक्ष के वकीलों की कार्रवाई उचित नहीं थी क्योंकि जांच एजेंसी का प्रतिनिधित्व पहले दिन से ही वकील द्वारा किया जा रहा था।
कोर्ट ने कहा, एक वकील अपने मुवक्किल के साथ अपनी पहचान नहीं बना सकता। वह जांच अधिकारी आदि जैसी एजेंसियों से तब तक सीधे बातचीत नहीं कर सकता, जब तक अदालत विशेष रूप से विचाराधीन कार्यवाही के संबंध में ऐसा आदेश न दे। वकील का काम न्यायालय की सहायता करना है और आदेश का अनुपालन न करने पर शिकायत के मामले में पीठ को अवगत कराना है।
वकीलों के संचार से संबंधित मुद्दा ईडी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने उठाया था। कहा कि इस तरह के आचरण की अनुमति नहीं दी जा सकती। इससे उक्त अधिकारी को परेशान किया जाता है।” अभियुक्तों के वकील एजेंसी को केवल अनुस्मारक भेजने की बात कही। हालाँकि कोर्ट ने यह स्पष्टीकरणग स्वीकार नहीं किया।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अधिवक्ता तनवीर अहमद मीर और राम एम कौशिक के साथ आरोपित का प्रतिनिधित्व किया।
ईडी की तरफ से डिप्टी सॉलिसिटर जनरल वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश और अधिवक्ता जेपी मिश्रा और कुलदीप श्रीवास्तव उपस्थित हुए।
यह है मामलाः
आरोपित के खिलाफ पंजाब नेशनल बैंक को ढाई अरब रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाने का आरोप है। यह राशि ऋण के रूप में ली गई थी। इसे जमा नहीं किया गया।
वह सात फरवरी से जेल में है। कोर्ट ने स्पेशल कोर्ट में पासपोर्ट जमा करने जैसी शर्त भी लगाई है।
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