इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कर्मचारी का भुगतान न करने पर यूपी परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक के खिलाफ जारी किया जमानती वारंट, 28 मई को तलब

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आगरा/ प्रयागराज २४ मई ।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यू पी एस आर टी सी ) के प्रबंध निदेशक, लखनऊ के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। यह वारंट कर्मचारी के बकाया भुगतान से संबंधित एक मामले में अदालत के पिछले आदेशों का पालन न करने और व्यक्तिगत रूप से उपस्थित न होने के कारण जारी किया गया है।

प्रबंध निदेशक को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम ) लखनऊ के माध्यम से 28 मई को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया गया है।

न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की एकल पीठ ने अमित कुमार द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया। इससे पहले, अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि जब तक याचिकाकर्ता कर्मचारी का भुगतान नहीं कर दिया जाता, तब तक प्रबंध निदेशक को वेतन का भुगतान न किया जाए। इसके बावजूद, न तो आदेश का पालन किया गया, न ही प्रबंध निदेशक अदालत में हाजिर हुए, और न ही हाजिरी से छूट के लिए कोई आवेदन दिया गया।

मामले की पृष्ठभूमि:

यह मामला श्रमिक के सेवा बहाली और बकाया वेतन के भुगतान से जुड़ा है। बरेली की श्रम अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दंडित करने के आदेश को रद्द करते हुए उसे बकाया वेतन सहित सेवा बहाली का अवार्ड दिया था। निगम ने इस अवार्ड को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन कोई स्थगनादेश प्राप्त नहीं कर सका। अदालत ने निगम की याचिका पर कर्मचारी से जवाब मांगा था।

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याचिकाकर्ता ने भी अवार्ड का पालन कराने के लिए एक याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि निष्पादन अर्जी दाखिल की जाए।

इसके बाद, याचिकाकर्ता ने 18 अक्टूबर 2021 को उप श्रमायुक्त बरेली के समक्ष निष्पादन अर्जी दी, जो अभी तक तय नहीं की गई है। कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि सुप्रीम कोर्ट ने निष्पादन अर्जी को छह माह में तय करने का आदेश दिया है, इसके बावजूद अर्जी अभी भी विचाराधीन है।

अदालत की सख्ती:

मामले की गंभीरता को देखते हुए, अदालत ने सड़क परिवहन निगम के विपक्षी संख्या तीन और चार को तलब किया था। इस पर, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक ने हलफनामा दाखिल कर बिना शर्त माफी मांगी और आदेश के पालन के लिए कुछ और समय मांगा। हालांकि, अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि याचिकाकर्ता पिछले सात साल से अदालत के चक्कर लगा रहा है और उसके भुगतान का तुरंत निर्देश दिया।

कोर्ट ने दोहराया था कि जब तक याचिकाकर्ता का भुगतान नहीं कर दिया जाता, प्रबंध निदेशक का वेतन भुगतान नहीं किया जाएगा। लेकिन, जब इस आदेश का भी पालन नहीं किया गया और प्रबंध निदेशक हाजिर नहीं हुए, तो अदालत ने जमानती वारंट जारी कर उन्हें व्यक्तिगत रूप से 28 मई को पेश होने का निर्देश दिया है।

यह कदम इस बात पर जोर देता है कि अदालत अपने आदेशों के उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेगी और सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए सख्त कदम उठाएगी।

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मनीष वर्मा
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