कोर्ट ने कहा गांव सभा की लोकोपयोगी जमीन का अन्य लोकहित के लिए इस्तेमाल हो तो ग्रामीणों की सहमति ली जाय ताकि लोग कोर्ट न आयें
चारागाह खलिहान की जमीन पर बन रही पानी टंकी व आरसीसी सेंटर को एक किनारे शिफ्ट करने का निर्देश,निर्माण पर हस्तक्षेप से इंकार
आगरा /प्रयागराज 23 अक्टूबर ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के ग्राम प्रधानों खासकर महिला प्रधानों के अधिकार व कर्तव्य को लेकर तीन माह के भीतर मंगलवार प्रशिक्षण देने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि प्रधानपति के कार्य करने के चलन को हतोत्साहित किया जाय।
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कोर्ट ने राज्य अधिकारियों से कहा है कि जब गांव सभा की लोकोपयोगी जमीन का दूसरे लोकोपयोगी कार्य के लिए लिया जाय तो गांव के लोगों की सहमति लिया जाय ताकि लोग किसी सार्वजनिक इस्तेमाल की जमीन का अन्य लोक हित में इस्तेमाल के खिलाफ हाईकोर्ट में न आये।
कोर्ट ने गाजीपुर की एक गांव सभा की चारागाह, नवीन परती, गडही व खलिहान की जमीन पर पानी टंकी व आरसीसी सेंटर निर्माण को जनहित में मानते हुए हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है। किन्तु कहा है कि यदि निर्माण अभी चालू न किया गया हो तो जमीन के एक किनारे शिफ्ट किया जाय ।
सरकार की तरफ से कहा गया कि चारागाह की जमीन के एक छोटे हिस्से पर पानी टंकी बनने से जमीन की नवैयत में बदलाव नहीं होगा । इससे लोकोपयोगी जमीन पर किसी को भूमिधरी अधिकार नहीं मिलेगा।
कोर्ट ने ग्राम प्रधान या परिवार या अन्य द्वारा यदि अतिक्रमण किया गया है तो एक माह में कार्यवाही करने का भी निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने गाजीपुर के अंबिका यादव व व कई अन्य की तरफ से दाखिल जनहित याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है।
याचियों का कहना था कि बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए केवल गांव सभा के प्रस्ताव पर गांव सभा की सार्वजनिक उपयोग की चारागाह खलिहान के लिए आरक्षित जमीन पर बोरिंग, पानी टंकी व आरसीसी सेंटर का निर्माण किया जा रहा है, जिसे रोका जाय। इससे जमीन की नवैयत बदल रही है।
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सरकार की तरफ से कहा गया कि कुल 4550वर्गमीटर जमीन में से केवल 42 वर्गमीटर छोटी सी जमीन का इस्तेमाल ग्रामीणों के हित में किया जा रहा।
कोर्ट ने कहा इस जमीन का इस्तेमाल शादी समारोह, खेल मैदान के रूप में भी इस्तेमाल की जानकारी दी गई है। तर्क दिया गया कि गांव सभा की चारागाह खलिहान की सार्वजनिक उपयोग की जमीन पर किसी को भूमिधरी अधिकार नहीं दिया जा सकता।
जिसके जवाब में सरकार की तरफ से कहा गया कि जमीन पर भूमिधारी अधिकार नहीं दिया गया है। जमीन का पूर्ववत इस्तेमाल होता रहेगा।
कोर्ट ने आदेश की प्रति अनुपालनार्थ प्रमुख सचिव को भेजने का निर्देश दिया है।
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