उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियम 2017 में संशोधन का आदेश: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जाली विवाह प्रमाणपत्रों पर लगाम लगाने को कहा

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आगरा/प्रयागराज २१ मई ।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियम 2017 में संशोधन का आदेश देते हुए राज्य सरकार को 6 महीने के भीतर इसे संशोधित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने विवाह की वैधता और पवित्रता को बनाए रखने के लिए एक सत्यापन योग्य विवाह पंजीकरण तंत्र विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। यह महत्वपूर्ण निर्देश जाली दस्तावेजों के जरिए शादियां कराने वाले संगठित गिरोहों के खुलासे के बाद आया है, जिसके कारण कई गंभीर विसंगतियां सामने आई हैं।

जाली विवाह प्रमाणपत्रों का खुलासा और कोर्ट का सख्त रुख:

जस्टिस विनोद दिवाकर की एकल पीठ ने शनिदेव व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।

कोर्ट ने घर से भागकर शादी करने वाले लगभग 125 अलग-अलग मामलों की सुनवाई के दौरान पाया कि कई बार सुरक्षा के लिए अदालतों में फर्जी विवाह प्रमाण पत्र पेश किए गए हैं।

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इन मामलों में विवाह प्रमाण पत्र जारी करने वाली संस्थाओं का कोई अता-पता नहीं था, गवाहों के नाम काल्पनिक पाए गए, और कई मामलों में तो वास्तव में विवाह हुआ ही नहीं था।

न्यायालय द्वारा दिए गए प्रमुख सुझाव:

अदालत ने महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रधान सचिव को 2017 के विवाह पंजीकरण के नियम में संशोधन के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं:

* धार्मिक रीति-रिवाज और अनुष्ठान का खुलासा: विवाह के लिए धार्मिक रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों का खुलासा अनिवार्य किया जाए।

* विवाह अधिकारियों के अधिकार: विवाह अधिकारियों को आपत्तियां उठाने, संदेह के आधार पर आवेदन अस्वीकार करने और रिकॉर्ड बनाए रखने का अधिकार देना।

* पुजारियों/संस्थाओं का विनियमन: फर्जी प्रमाण पत्रों को रोकने के लिए पुजारियों/संस्थाओं को विनियमित करने के लिए कानून बनाए जाएं।

* संस्थाओं की जवाबदेही: विवाह कराने वाली संस्थाओं के लिए आयु और निवास प्रमाण की फोटोकॉपी रखना अनिवार्य करें, ताकि उनकी जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।

* ऑनलाइन आयु सत्यापन: फर्जी आयु दस्तावेजों को रोकने के लिए पंजीकरण के साथ ऑनलाइन आयु सत्यापन प्रणाली बनाई जाए।

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* आधार प्रमाणीकरण और बायोमेट्रिक डेटा: विवाह पंजीकरण के लिए वर-वधु का आधार प्रमाणीकरण, दोनों पक्षों और गवाहों का बायोमेट्रिक डेटा और फोटो अनिवार्य किया जाए।

* आधिकारिक पोर्टल से आयु सत्यापन: सीबीएसई, यूपी बोर्ड, पैन, पासपोर्ट, डीएल जैसे आधिकारिक पोर्टलों से आयु सत्यापन किया जाए।

* भागकर शादी करने वाले जोड़ों के लिए विशेष प्रावधान: खास करके भागकर शादी करने वाले जोड़ों के वीडियो और फोटो को भी विवाह पंजीकरण में शामिल किया जाए।

विवाह की अखंडता और सामाजिक परिणाम

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वयस्क होने पर निःसंदेह सभी को जीवन साथी चुनने का अधिकार है, लेकिन इस अधिकार का प्रयोग वैधानिक प्रावधानों को दरकिनार करके नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि राज्य और उसके तंत्रों की जिम्मेदारी है कि वह कानून का सख्ती से पालन कराएं और विवाह संस्था की अखंडता और पवित्रता की रक्षा करें।

न्यायालय ने यह भी चेतावनी दी कि ऐसे फर्जी या अनधिकृत विवाह के कई बार गंभीर परिणाम सामने आते हैं, जिनमें मानव तस्करी, यौन शोषण और जबरन श्रम जैसे मामले भी शामिल हैं। यह आदेश विवाह पंजीकरण प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो जाली दस्तावेजों के बढ़ते दुरुपयोग को रोकने में मदद करेगा और विवाह संस्था की पवित्रता को बनाए रखेगा।

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मनीष वर्मा
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