आगरा में 44 वर्ष पुराने लम्बित सिविल मामले में आख़िरकार न्यायालय की पहल और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के प्रयासों से हुआ समझौता

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सुलहनामा/राजीनामा के आधार पर प्राचीनतम मामले का कोर्ट ने किया निस्तारण
न्यायालय में लगातार तीन दिन तक चली मामले की सुनवाई

आगरा ८ मई ।

आगरा की अदालत एडीजे 13 के माननीय महेश चंद वर्मा ने पिछले 44 वर्ष से लंबित मामले को आख़िरकार सुलह के आधार पर निस्तारित करवाने में सफलता प्राप्त की। न्यायालय का मत था कि चूँकि यह सिविल अपील इस न्यायालय में लंबित प्राचीनतम सिविल अपील में एक है और माननीय उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय द्वारा प्राचीनतम मामलों के शीघ्र निस्तारण के संबंध में जारी निर्देशों के अनुपालन में इसे शीघ्र निस्तारित किया जाना है ।

पंद्रह दिनों तक इस केस पर चर्चा के साथ तीन दिन लगातार इस लंबित मामले पर न्यायालय में सुनवाई हुई और दोनों पक्षों के वकीलों ने अदालत के सार्थक सहयोग से मामले को सुलझाने में सफलता प्राप्त की और सुलह/राजीनामा के आधार पर मामले को निर्णय तक पहुँचाया । प्रत्यर्थी गीतम सिंह के अधिवक्ता देवेन्द्र सिंह धाकरे का इसमें विशेष योगदान रहा ।

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अधिवक्ता देवेंद्र सिंह धाकरे

मामले के अनुसार फतेहपुर सीकरी के ग्राम घिलोय के रहने वाले गीतम सिंह ने ग्राम चौमा शाहपुर फतेहपुर सीकरी के अतर सिंह से पाँच हज़ार रुपये उधार लिए थे और 1976 में एक ज़मीन का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट अतर सिंह के नाम कर दिया ।वास्तव में जिस भूमि का एग्रीमेंट किया गया था उस पर गीतम सिंह केवल शीलदार थे । उन्हें मालिकाना हक प्राप्त नहीं था ।

इसके बाद वर्ष 1981 में अतर सिंह और गीतम सिंह के बीच किरावली तहसील में एक पंजीकृत त्याग विलेख हुआ। ज़िसमे गीतम सिंह से अतर सिंह से उधार दिए गए पाँच हज़ार रुपये वापस दे दिए थे । इसके बाद भी 1981 में अतर सिंह ने गीतम सिंह के विरुद्ध एक विशिष्ट अनुतोष का वाद सिविल जज जूनियर डिविज़न के यहाँ दायर कर दिया ।

जिसमे एक पक्षीय आदेश उनके पक्ष में निर्णीत हो गया। केस के कार्यान्वन के दौरान जब वर्ष 2009 में गीतम सिंह को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने उस एक पक्षीय आदेश के ख़िलाफ़ केस लड़ा और निचली अदालत ने उनके पक्ष में फ़ैसला दिया । जिसका रिवीज़न अतर सिंह द्वारा वर्ष 2018 में अदालत में किया गया । इसी दौरान अतर सिंह की मौत हो गई और उनके पाँच वारिस भरत सिंह, विजय सिंह, वीरी सिंह, कप्तान सिंह, भूपेन्द्र सिंह इस केस में पक्षकार बन गए । तब से मामला अभी तक लंबित था ।

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लेकिन न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों को समझाने और अधिवक्ताओं के सहयोग से दोनों पक्षों के बीच सुलहनामा/राजीनामा हो गया और अतर सिंह के वारिसों द्वारा अपने अधिवक्ता कृष्ण कुमार भारद्वाज के माध्यम से गीतम सिंह को तीस हज़ार की धनराशि अदा कर लंबित सिविल अपील निस्तारित करने व सुलहनामा/राजीनामा को निर्णय/आज्ञप्ति का अंश बनाये जाने की याचना न्यायालय से की ।

जिसमे न्यायालय ने अपने निर्णय में लिखा कि उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण को सुना। पत्रावली का सम्यक परिशीलन मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों में, प्रस्तुत सुलहनामा/राजीनामा -316 क दिनांकित 05.05.2025 स्वीकार किये जाने योग्य है तथा प्रस्तुत सिविल अपील उक्त सुलहनामा के आधार पर निर्णीत किये जाने योग्य है।

उक्त सुलहनामा/राजीनामा -316 क स्वीकार किया जाता है। उक्त सुलहनामा/राजीनामा के आधार पर प्रस्तुत सिविल अपील निणींत किया जाता है। उक्त सुलहनामा राजीनामा इस निर्णय आज्ञप्ति का अंश रहेगा। उक्त सुलहनामा राजीनामा मात्र पक्षकारों / उनके विधिक प्रतिनिधियों पर ही बाध्यकारी होगा।

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विवेक कुमार जैन
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