आगरा उपभोक्ता आयोग प्रथम ने बजाज आलियांज को ई-रिक्शा चोरी के मामले में ₹1.17 लाख का भुगतान करने का दिया आदेश

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आगरा:

जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग-प्रथम, आगरा के अध्यक्ष माननीय सर्वेश कुमार ने एक महत्वपूर्ण फैसले में, बीमा कंपनी बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को एक ग्राहक को उसके चोरी हुए ई-रिक्शा के लिए मुआवजे के रूप में ₹1.17 लाख का भुगतान करने का निर्देश दिया है।

यह आदेश सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार के आधार पर दिया गया है।

मामले का विवरण:

यह मामला जयमंती देवी द्वारा दायर किया गया था, जिनका ई-रिक्शा नंबर (UP 80 FT 5413) 24 नवंबर, 2021 को आगरा के सुल्तानगंज में भारत पेट्रोलियम पंप से चोरी हो गया था। ई-रिक्शा बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से बीमित था, जिसकी पॉलिसी संख्या OG-22-1201-1803-00001033 थी।

यह पॉलिसी 18 सितंबर, 2021 से 19 सितंबर, 2022 तक वैध थी। पॉलिसी के तहत, बीमित राशि ₹1,14,000 थी और चोरी भी कवर की गई थी।

चोरी की घटना के बाद, जयमंती देवी ने हरीपर्वत पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी (एफ आई आर ) दर्ज कराई। उन्होंने घटना के 3-4 दिन बाद बीमा कंपनी को भी सूचित किया।

बीमा कंपनी के सर्वेयर ने आवश्यक दस्तावेज और चाबियां प्राप्त कीं और जयमंती देवी को बीमा राशि का भुगतान करने का आश्वासन दिया। हालांकि, पुलिस ने चोरी हुए ई-रिक्शा को बरामद नहीं किया और 13 अगस्त, 2022 को अदालत ने उनकी अंतिम रिपोर्ट स्वीकार कर ली।

जब जयमंती देवी ने अंतिम रिपोर्ट की एक प्रति के साथ बीमा कंपनी से संपर्क किया, तो उन्हें बताया गया कि उनका दावा बिना किसी कारण के खारिज कर दिया गया है।

बीमा कंपनी का तर्क:

बजाज आलियांज ने 11 जनवरी, 2023 को अपना लिखित बयान प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने यह स्वीकार किया कि उन्होंने पॉलिसी जारी की थी। हालांकि, उन्होंने दावा खारिज करने के लिए कई तर्क दिए:

* प्राथमिकी (एफ आई आर ) दर्ज करने में 6 दिनों की देरी हुई।

* ई-रिक्शा मालिक की लापरवाही के कारण चोरी हुआ क्योंकि चाबी रिक्शा में ही लगी हुई थी।

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* कंपनी ने एक जांचकर्ता की रिपोर्ट के आधार पर 2 जून, 2022 को दावा खारिज कर दिया, क्योंकि यह बीमा पॉलिसी की शर्त 4 का उल्लंघन था।

* बीमा कंपनी ने दावा खारिज करके किसी भी प्रकार की अनुचित व्यापार प्रथा या सेवा में कमी नहीं की है।

उपभोक्ता आयोग का निर्णय:

उपभोक्ता आयोग ने दोनों पक्षों के तर्कों और सबूतों की जांच की। आयोग ने पाया कि जयमंती देवी द्वारा नियमानुसार प्राथमिकी दर्ज की गई थी और दावा प्रस्तुत किया गया था।

आयोग ने बीमा कंपनी के इस तर्क को खारिज कर दिया कि चाबी लगी होने के कारण लापरवाही हुई थी, और इसे “मनमाना” बताया।

आयोग ने दो प्रमुख कानूनी दृष्टांतों का हवाला दिया:

* गुरुमेल सिंह बनाम ब्रांच मैनेजर नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (2022 लाइव लॉ एससी 506): इस मामले में, माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बीमा कंपनियों को दावा निपटान के समय बहुत अधिक तकनीकी नहीं होना चाहिए और ऐसे दस्तावेज नहीं मांगने चाहिए जिन्हें बीमाधारक अपने नियंत्रण से बाहर की परिस्थितियों के कारण पेश करने की स्थिति में न हो।

* मनमोहन नंदा बनाम यूनाइटेड इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (2022 (1) सीपीजे 20): इस मामले में, माननीय सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि यदि बीमा कंपनी किसी महत्वपूर्ण तथ्य को छुपाने के संबंध में सबूत पेश करने में असमर्थ है, तो बीमाधारक को पॉलिसी की शर्तों के अनुसार मुआवजा दिया जाना चाहिए।

इन दृष्टांतों के आधार पर, आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि बीमा कंपनी ने अनुचित व्यापार व्यवहार किया है और सेवा में कमी की है।

आदेश और मुआवजा:

आयोग ने बजाज आलियांज को निम्नलिखित भुगतान करने का आदेश दिया:

* बीमित राशि: ₹1,02,600/- (₹1,14,000/- की आईडीवी से 10% की कटौती के बाद), जिस पर 21 नवंबर, 2022 से वास्तविक भुगतान की तारीख तक 6% वार्षिक साधारण ब्याज लगेगा।

* मानसिक पीड़ा के लिए मुआवजा: ₹10,000/-

* मुकदमे का खर्च: ₹5,000/- कंपनी को यह पूरी राशि (लगभग ₹1.17 लाख) निर्णय की तारीख से 45 दिनों के भीतर डिमांड ड्राफ्ट (डीडी ) के माध्यम से आयोग में जमा करनी होगी। यदि कंपनी ऐसा करने में विफल रहती है, तो ब्याज दर 6% से बढ़कर 9% हो जाएगी।

Attachment/Order/Judgement – jaymanti(1)

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विवेक कुमार जैन
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