निचली अदालत द्वारा दो आरोपियों को बरी करने के आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 15 वर्ष बाद 2024 में किया रद्द,आरोपी दोषी करार

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आगरा /नई दिल्ली 26 अगस्त ।

वर्ष 2008 में निचली अदालत द्वारा दो आरोपियों को बरी करने के आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 15 वर्ष बाद 2024 में रद्द कर दिया और दोनो आरोपियों को दोषी माना है। क्योंकि उन्होंने एक व्यक्ति के सिर पर जानबूझकर किसी नुकीली चीज से चोट पहुंचाई थी, जिससे उसकी मौत हो सकती थी।

जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने 01 अक्टूबर, 2008 को ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित बरी करने का आदेश रद्द कर दिया और दोनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 308 और 34 के तहत अपराधों के लिए दोषी ठहराया।

 

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मामले के अनुसार पीड़ित की शिकायत पर 2006 में पुलिस रिपोर्ट दर्ज की गई जिसमें उस पर हुए हमले के कारण वह बेहोश हो गया था और उसके सिर पर 21 टांके लगे थे।
अभियोजन पक्ष ने बरी करने के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी कि गवाहों की गवाही ने घटना को उचित संदेह से परे साबित कर दिया और ट्रायल कोर्ट ने इस बात को नजरअंदाज कर दिया कि शिकायतकर्ता द्वारा अपराध के हथियार की पहचान करने में असमर्थता समझ में आती है, क्योंकि उसके सिर पर पीछे से वार किया गया।

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जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि

अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही के मद्देनजर घटना और शिकायतकर्ता को लगी चोट संदेह से परे साबित होती है।

अदालत ने यह भी कहा कि

शिकायतकर्ता को जिस तरह से चोट पहुंचाई गई, वह अभियोजन पक्ष द्वारा पूरी तरह से साबित किया गया।

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अब इस मामले में सजा पर बहस के लिए 30 अगस्त को सुनवाई होगी।

केस टाइटल- राज्य बनाम मोहित कुमार एवं अन्य

 

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विवेक कुमार जैन
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