आगरा/प्रयागराज २७ जून ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादी का वादा कर यौन शोषण करने के एक आरोपी को जमानत दे दी है, लेकिन साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।
हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप की अवधारणा को भारतीय मध्यवर्गीय समाज के स्थापित मूल्यों के विपरीत बताया।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की एकल पीठ ने शाने आलम द्वारा दायर जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया। आलम पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और पॉक्सो एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज है।
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आरोप है कि उसने शादी का झूठा आश्वासन देकर पीड़िता से शारीरिक संबंध बनाए और बाद में शादी से इंकार कर दिया। पीड़िता के वकील ने तर्क दिया कि आरोपी ने पीड़िता का शोषण किया है।
अदालत ने इस बात पर नाराजगी जताई कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिव-इन रिलेशनशिप को वैधानिक बनाने के बाद ऐसे मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है और अदालत ऐसे मामलों से तंग आ चुकी है। कोर्ट ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप की अवधारणा ने युवा पीढ़ी को आकर्षित किया है, लेकिन इसके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
इसके बावजूद, कोर्ट ने आरोपी शाने आलम को जमानत दे दी। कोर्ट ने अपने फैसले में 25 फरवरी से लगातार जेल में रहने, कोई आपराधिक इतिहास न होने, आरोपी की प्रकृति और जेलों में भीड़भाड़ जैसे कारकों पर विचार किया।
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