आगरा के सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता के0सी0 जैन ने की है शिकायत
यूपीडा लखनऊ एक्सप्रेसवे पर होने वाले हादसों के विवरण को अपनी वेबसाइट पर करे प्रदर्शित
आगरा 06 अक्टूबर।
आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता के0सी0 जैन द्वारा उ0प्र0 मानवाधिकार आयोग के समक्ष अपनी लम्बित शिकायत सं0 1585(80)/2024-25 /आरईपी के द्वारा मांग रखी गई है कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर हो रहे हादसों के सम्बन्ध में उ0प्र0 एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) को पारदर्शिता रखनी चाहिए और उसके द्वारा 302 किलोमीटर लम्बे एक्सप्रेसवे पर होने वाले सभी सड़क हादसों का विवरण प्रारम्भ से संकलित किया जाये।
जिन्हे यूपीडा अपनी वेबसाइट पर पारदर्शिता, जागरूकता और संवेदनशीलता की दृष्टि से अपलोड करे। प्रत्येक हादसे का कारण भी यूपीडा अंकित करे ताकि उन कारणों से हादसों की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।
यूपीडा की उन कारणों को रोकने के लिए की गयी पहल को भी वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाये।इस मामले की सुनवाई दिनांक 08 अक्टूबर 2024 को नियत है।

मानवाधिकार आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति राजीव लोचन मेहरोत्रा ने अधिवक्ता जैन से यूपीडा की जांच आख्या दिनांक 03/09/2024 के सम्बन्ध में आपत्ति दाखिल करने का अवसर दिया है जिसके क्रम में अधिवक्ता द्वारा अपनी बात आयोग के समक्ष रखी गई है।
दुर्घटनाओं का विवरण संकलित करने का दायित्व यूपीडा का
अधिवक्ता जैन ने आयोग के समक्ष यह बात रखी है कि 302 किलोमीटर लम्बे इस एक्सप्रेसवे पर लगभग प्रतिदिन सड़क हादसे हो रहे हैं । जिसमें मानव जीवन असमय समाप्त हो रहा है और एक्सप्रेसवे पर यात्रा करने वाले घायल भी हो रहे हैं।
ऐसी स्थिति में यूपीडा को एक जिम्मेदार रोड एजेन्सी के रूप में सभी हादसों का विवरण एकत्र करना चाहिए। यूपीडाअपनी जिम्मेदारी को यह कहकर समाप्त नहीं कर सकती कि आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे जनपद आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरेया, कन्नौज, कानपुर नगर, हरदोई, उन्नाव एवं लखनऊ (10 जनपदों) की सीमा से होकर गुजरता है इसलिये इस पर होने वाली दुर्घटनाओं का विवरण सम्बन्धित जनपद से प्राप्त किया जाना चाहिए।
इन सड़क हादसों में मानव जीवन को बचाने के लिए यह अति आवश्यक है कि इस आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे पर होने वाले सड़क हादसों को हादसों का पूर्ण विवरण यूपीडा द्वारा एकत्रित किया जाये और उसे अपनी वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाये ताकि वाहन चालकों के मध्य संवेदनशीलता व जागरूकता उत्पन्न की जा सके।
दुर्घटना की स्थिति में यूपीडा अथवा उसके द्वारा अनुबंधित कौन्ट्रेक्टर द्वारा एम्बुलेंस भी भेजी जाती है इस कारण एक्सप्रेसवे पर होने वाले सभी हादसों के सम्बन्ध में यह भी जांच करना आवश्यक होगा कि हादसा किन कारण से हुआ ताकि भविष्य में इन कारणों से वाहन चालकों को आगाह किया जा सके।

गति सीमा उल्लंघन
यूपीडा द्वारा नवम्बर 2020 से लेकर जुलाई 2024 तक गति सीमा के उल्लंघन के भेजे गये चालानों का विवरण अपने जवाब में प्रस्तुत किया है जिसके अनुसार इस अवधि में 8,69,782 वाहनों का चालान हुआ है जिसका वर्षवार विवरण इस प्रकार है।
नवम्बर दिसम्बर 2020 तक होने वाले चालान 41300
2021 175179
2022 148248
2023 376467
2024 जुलाई तक 128588
कुल चालान संख्या 8,69,782
इसको लेकर मानवाधिकार आयोग के समक्ष यह मांग रखी गयी है कि चालानों की संख्या बहुत कम है।इसलिये इस एक्सप्रेसवे पर लगे ऑटोमैटिक नम्बर प्लेट रीडर (ए0एन0पी0आर0) सिस्टम से ओवर स्पीडिंग करने वाले कितने वाहन प्रतिवर्ष पाये गये उनका विवरण उपलब्ध कराया जाये।
इस विवरण को वेबसाइट पर पोस्ट किया जाये ताकि ऐसे वाहनों की संख्या मालूम हो सके जिनके चालान नहीं हुये लेकिन उन्होंने गति सीमा का उल्लंघन किया। मानव जीवन को यदि बचाना है तो गति सीमा के उल्लंघन पर 100 फीसदी चालान आवश्यक है।
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यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण एवम पुलिस विभाग ने नही किया है आयोग के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत
यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (येडा) द्वारा अभी अपना पक्ष आयोग के समक्ष नहीं रखा गया है जबकि की गयी शिकायत दिनांकित 15/04/2024 के प्रस्तर सं0 1 में हुआ सड़क हादसा दिनांक 02/02/2024 का सम्बन्ध येडा से ही है।जिसको बताना है कि किस प्रकार मानवाधिकारों का उल्लंघन उक्त हादसे में हुआ।
पुलिस प्रशासन को भी अपनी प्रतिक्रिया व जवाब प्रस्तुत करनी चाहिये क्योंकि रोड एजेन्सियां हादसों के सम्बन्ध में अपनी जिम्मेदारी पुलिस पर डाल देती हैं। इसलिये येडा व प्रदेश के पुलिस प्रशासन से भी सड़क हादसों के सम्बन्ध में अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए आयोग को आदेश देने चाहिये।

सीआरआरआई की ऑडिट रिपोर्ट देने को तैयार हुआ यूपीडा
अभी तक यूपीडा आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे के सम्बन्ध में सैन्ट्रल रोड रिसर्च इन्स्टीटयूट (सीआरआरआई) नई दिल्ली द्वारा की गयी रोड सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट को उपलब्ध नहीं करा रहा था और यहां तक कि सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत भी यह रिपोर्ट उसके द्वारा देने से इंकार कर दिया गया था।
लेकिन अब यूपीडा ने मानवाधिकार आयोग के समक्ष यह कहा है कि यदि अधिवक्ता जैन उक्त रिपोर्ट को प्राप्त करना चाहते हैं तो सूचना अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त कर सकते हैं।
इसको लेकर अब रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए आवेदन यूपीडा यूपीड़ा के यहां आवेदन लगा रहे हैं और देखना है कि इस रिपोर्ट में क्या नये खुलासे होते हैं ?
Response & Order – Response along with UP Human Rights Commiossion Order
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