आगरा / प्रयागराज 04 अक्टूबर ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में बलात्कार और जबरन वसूली के आरोपी याची के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। जिसमें कहा गया कि 12 साल से अधिक समय तक चलने वाले सहमति से बने संबंध को केवल शादी करने के वादे के उल्लंघन के आधार पर बलात्कार नहीं माना जा सकता।
न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने यह फैसला श्रेय गुप्ता की याचिका पर दिया है।
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जिसमें सहमति की कानूनी व्याख्या और झूठे बहाने के तहत यौन शोषण के आरोपों पर लम्बे समय से संबंधों के प्रभाव पर हाईकोर्ट ने यह निर्णय दिया।
भारतीय कानून में सहमति से यौन संबंध और बलात्कार के बीच अंतर को कोर्ट ने परिभाषित कर याची को राहत दी तथा उसके खिलाफ चल रहे आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया।
यह मामले में आवेदन धारा 482 के तहत आवेदक श्रेय गुप्ता द्वारा दायर किया गया था। जिसमें सत्र परीक्षण में 9 अगस्त, 2018 को दाखिल आरोप पत्र को रद्द करने की मांग की गई थी।
आपराधिक कार्यवाही 21 मार्च, 2018 को शिकायत कर्ता द्वारा दर्ज की गई एक प्राथमिकी से उत्पन्न हुई थी। जिसमें याची पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 और 386 के तहत बलात्कार और जबरन वसूली का आरोप लगाया गया था।
शिकायत करते हुए मुरादाबाद की एक महिला ने आरोप लगाया कि याची ने उसके पति के गंभीर रूप से बीमार होने के दौरान उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की शुरुआत की और उसके पति की मृत्यु के बाद उससे शादी करने का वादा किया।
उनके अनुसार, उनके पति के गुजर जाने के बाद भी यह रिश्ता जारी रहा, लेकिन याची ने आखिरकार 2017 में दूसरी महिला से सगाई कर ली।
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