आगरा के लघुवाद न्यायालय के यथास्थिति आदेश का उल्लंघन करने पर 14 दिन का सिविल कारावास

न्यायालय मुख्य सुर्खियां
संपत्ति घर और कृषि भूमि को 1 वर्ष के लिए कुर्क करने के दिए आदेश
प्रश्नगत वादग्रस्त संपत्ति की सरफेसी अधिनियम के अंतर्गत जारी नीलामी कार्यवाही को 1 वर्ष तक रोकने के आदेश

आगरा 17 सितंबर ।

आगरा के लघुवाद न्यायाधीश माननीय मृत्युजन्य श्रीवास्तव ने प्रश्नगत संपत्ति पर यथास्थिति के आदेश के बावजूद उसका अनुपालन नहीं करने पर दाखिल अवमानना वाद में विपक्षी रामवीर शर्मा को 14 दिन के सिविल कारावास तथा उनकी संपत्ति घर और कृषि भूमि को 1 वर्ष के लिए कुर्क करने के आदेश किए है।

इसके अतिरिक्त प्रश्नगत वादग्रस्त संपत्ति के प्रति सरफेसी अधिनियम के अंतर्गत जारी नीलामी कार्यवाही को 1 वर्ष तक रोकने के आदेश पारित किए हैं।

मामले के अनुसार रामवीर शर्मा पुत्र कैलाशी निवासी जनौरा, थाना- डौकी, तहसील व जिला आगरा ने दिनांक 03.01.2014 को ताजनगरी द्वितीय फेज, खसरा संख्या 19, मौजा लकावली, तहसील व जिला- आगरा में 160 वर्गमीटर के प्लॉट को क्रय किया था।

परन्तु इस प्लॉट के मालिकाना हक को लेकर बाबूलाल तथा संदीप कुमार से विवाद की स्थिति होने पर रामवीर शर्मा ने मा. लघुवाद न्यायाधीश, आगरा के न्यायालय में बाबूलाल और संदीप कुमार को पक्षकार बनाते हुए वाद संख्या 967/2014 योजित कर एकपक्षीय यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिनांक 24.07.2014 को प्राप्त कर लिया लेकिन रामवीर शर्मा स्वयं ने ही न्यायालय से यथास्थिति बनाए रखने के आदेश का जानबूझकर उल्लंघन करते हुए उक्त संपत्ति को इलाहाबाद बैंक (वर्तमान-इंडियन बैंक) पालीवाल पार्क शाखा, आगरा में पीताम्बरा कंस्ट्रक्शंस के पक्ष में साम्य बंधक रख दिया और लोन ले लिया।

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संदीप कुमार उक्त को इस तथ्य की जानकारी होने पर उन्होंने बैंक प्रबंधन सहित अग्रणी बैंक प्रबंधक को शिकायत की। परन्तु कोई कार्यवाही न होने पर लघुवाद न्यायाधीश, आगरा के न्यायालय में रामवीर शर्मा व इंडियन बैंक के विरुद्ध अवमानना याचिका संख्या 80/2023 प्रेषित करते हुए साक्ष्यों सहित अवमानना से सम्बंधित सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय द्वारा विभिन्न विधि व्यवस्थाओं में प्रतिपादित सिद्धांतों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया।

सुनवाई के दौरान अपने जवाब में रामवीर शर्मा ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि न तो वह और न ही बैंक अवमाननाकर्ता है, बल्कि बैंक ने आंतरिक रूप से लोन का अंतरण दूसरी शाखा में किया है, जिससे न्यायालय के आदेश का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है।

इसके अतिरिक्त कहा कि मूल वाद में बैंक को पक्षकार नहीं बनाया गया है, इसलिए इस केस में बैंक को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता इस आधार पर प्रार्थना पत्र खारिज होने योग्य है। इस वाद के द्वितीय पक्षकार इंडियन बैंक ने उपरोक्त खाते से सम्बंधित मात्र प्रपत्र प्रस्तुत किए। कोई लिखित जवाब दाखिल नहीं किया।

लघुवाद न्यायाधीश माननीय मृत्युजन्य श्रीवास्तव ने 9 सितंबर को एक विस्तृत आदेश पारित करते हुए सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित विधि व्यवस्थाओं का उद्धरण देते हुए कथन किया कि वादी स्वयं ने न्यायालय से प्रश्नगत संपत्ति पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश कराने के बावजूद, 90 लाख रुपये का ऋण लेने के लिए वादग्रस्त संपत्ति को बैंक में प्रतिभूति के रूप में रखकर न्यायालय के आदेश का उल्लंघन किया है तथा लिए गए लोन में भी डिफाल्टर होना, विपक्षी रामवीर शर्मा की दुर्भावना को दर्शाता है।

यह भी दर्शित है कि प्रश्नगत संपत्ति पर मालिकाना हक से सम्बंधित विवाद न्यायालय में लंबित है। बैंक में वादग्रस्त संपत्ति को बंधक रखते हुए जानबूझकर झूठा शपथपत्र प्रस्तुत कर 90 लाख रूपए प्राप्त किए। रामवीर शर्मा ने प्रश्नगत संपत्ति पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश कराने के बावजूद उसका अनुपालन नहीं किया।

न्यायालय ने रामवीर शर्मा को 14 दिन के सिविल कारावास तथा रामवीर शर्मा की संपत्ति घर और कृषि भूमि को 1 वर्ष के लिए कुर्क करने के आदेश किए, इसके अतिरिक्त प्रश्नगत वादग्रस्त संपत्ति के प्रति सरफेसी अधिनियम के अंतर्गत जारी नीलामी कार्यवाही को 1 वर्ष तक रोकने के आदेश पारित किए हैं।

इस मामले में संदीप कुमार की ओर से विद्वान अधिवक्ता डॉ. अजीत कुमार सिंह ने अपना पक्ष रखते हुए ठोस तर्क रखे।

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विवेक कुमार जैन
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