आगरा/प्रयागराज 28 नवंबर ।
एएलटी न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ पिछले महीने गाजियाबाद पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में दो और धाराएं जोड़ी गई हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को यह जानकारी मो.जुबैर की याचिका पर दी गई। विवेचक की ओर से बताया गया कि मामले में भारतीय न्याय संहिता की धारा 152, जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को आपराधिक बनाती है और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 को मो.जुबैर के खिलाफ पिछले महीने दर्ज एफआईआर में जोड़ा गया है।
एफआईआर यती नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी द्वारा दर्ज शिकायत के अनुसार दर्ज की गई है, जिसमें दावा किया गया है कि जुबैर ने गत तीन अक्टूबर को नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम का एक वीडियो क्लिप पोस्ट किया, जिसमें उन्हें उसके खिलाफ हिंसा भड़काने का इरादा था।
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कोर्ट ने गत 25 नवंबर को मामले में विवेचक को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया हो कि जुबैर के खिलाफ कौन सी आपराधिक धाराएं लगाई गई हैं ?
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विवेचक की ओर से बताया गया कि एफआईआर में बीएनएस की धारा 152 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 जोड़ी गई है। जुबैर के खिलाफ एफआईआर शुरू में बीएनएस की धारा 196 (धार्मिक आधार पर अलग-अलग समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 228 (झूठे साक्ष्य का निर्माण), 299 (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), 356(3) (मानहानि) और 351(2) (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत दर्ज की गई थी।
जुबैर ने याचिका में कहा है कि उनका एक्स पोस्ट यति नरसिहानंद के खिलाफ हिंसा का आह्वान नहीं करता है। उन्होंने केवल पुलिस अधिकारियों को नरसिंहानंद की कार्रवाइयों के बारे में सूचित किया था और कानून के अनुसार कार्रवाई की मांग की थी।
यह दो वर्गों के लोगों के बीच असामंजस्य या बुरी भावना को बढ़ावा देने का कारण नहीं बन सकता है।
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