आगरा /नई दिल्ली 12 दिसंबर ।
विभिन्न मामलों में केंद्र सरकार की लगातार गैरहाजिरी पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इतने सारे पैनल वकील होने के बावजूद केंद्र सरकार ने अलग-अलग बेंचों के लिए विशिष्ट वकील क्यों नहीं नियुक्त किए ?
यह मौखिक टिप्पणी जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने स्टूडेंट के एमबीबीएस कोर्स में दाखिले से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान की, जो ओबीसी श्रेणी से संबंधित है। स्टूडेंट जन्म से ही बोलने में अक्षमता के साथ-साथ चलने-फिरने में अक्षम है।
हालांकि इस मामले में 25 नवंबर को नोटिस जारी किया गया, लेकिन केंद्र की तरफ़ से कोई पेश नहीं हुआ ।बुधवार दोपहर में जब मामला आया तो केंद्र सरकार के वकील पेश नहीं हुए।
इसने न्यायालय को यह आदेश पारित करने के लिए बाध्य किया:
“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिव्यांग व्यक्तियों की श्रेणी से संबंधित याचिकाकर्ता के प्रवेश से संबंधित मामले में विधिवत नोटिस दिए जाने के बावजूद, कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। हालांकि आमतौर पर हम सरकार के अधिकारियों को न्यायालय में उपस्थित रहने का निर्देश नहीं देते हैं, प्रतिवादी नंबर 2 के लापरवाह दृष्टिकोण को देखते हुए हम महानिदेशक, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली को 12.12.2024 को सुबह 10.30 बजे इस न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश देने के लिए बाध्य हैं।”
गुरुवार को जब मामले की सुनवाई सुबह 10:45 बजे हुई तो एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रम बनर्जी संघ की ओर से उपस्थित हुए।
जस्टिस गवई ने इस बात पर फिर से जोर दिया कि संघ के वकील मामलों में उपस्थित नहीं हो पाए। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि जब मामला दिव्यांग व्यक्ति से संबंधित हो तो यह अपेक्षित है कि संघ उपस्थित होगा।
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उन्होंने कहा:
“यह क्या है? नोटिस भेजे जा चुके हैं और आप पेश होने की जहमत नहीं उठाते ? आपके पास बहुत सारे कानून अधिकारी हैं- ए पैनल काउंसलर बी पैनल काउंसलर सी पैनल काउंसलर ।ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। भारत संघ के लिए कई मौकों पर यहां कोई मौजूद नहीं होता। कल भी हमने देखा कि अगर कोई मौजूद है तो हम ऐसा आदेश पारित नहीं करेंगे। लेकिन यहां कोई नहीं था। हमने 4 बजे तक इंतजार किया और फिर आदेश पारित किया…खासकर जब मामला दिव्यांग व्यक्तियों से संबंधित हो तो हम आपसे जवाब की उम्मीद करते हैं। आपके पास बहुत सारे पैनल काउंसलर हैं, आप कुछ अदालतों को कुछ पैनल काउंसलर क्यों नहीं सौंपते ? सच कहूं, जब हमें किसी की सहायता की आवश्यकता होती है तो वे तुरंत वहां पहुंच सकते हैं। हलफनामे में हम 8 वकील, 9 वकील देखते हैं।”
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक भी न्यायालय के आदेश के अनुसार पेश हुए। आदेश में न्यायालय ने कहा कि उसे अधिकारियों को अदालत में बुलाने में खुशी नहीं होती, लेकिन चूंकि कोई प्रतिनिधित्व नहीं था, इसलिए उसे ऐसा करना पड़ा। न्यायालय ने स्टूडेंट को राजस्थान के कॉलेज में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिला देने की अनुमति देते हुए आदेश पारित किया।
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साभार: लाइव लॉ
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