आगरा/नई दिल्ली, 24 सितंबर 2025
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पेशेवर दुराचार के गंभीर आरोपों में घिरे आगरा के चर्चित पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज कुमार शर्मा की अपील को खारिज करते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई ) द्वारा लगाए गए तीन साल के निलंबन को बरकरार रखा है।
यह निर्णय न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने सिविल अपील संख्या 6679/2024 पर सुनवाई के बाद सुनाया।
न्यायालय ने पाया कि अधिवक्ता ने प्रतिवादी प्रियंका बंसल के विरुद्ध “अपमानजनक आरोप” लगाकर “हठी और अनुचित व्यवहार” का प्रदर्शन किया, जिसे “गंभीर दुराचार” की श्रेणी में रखा गया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार के आचरण के प्रति कोई उदार दृष्टिकोण नहीं अपनाया जा सकता।
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प्रमुख निर्देश और दंड:
• अधिवक्ता पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाया गया है, जिसे तीन महीने के भीतर पीड़िता प्रियंका बंसल को मुआवजे के रूप में दिया जाएगा।
• आगरा के जिलाधिकारी को अधिवक्ता की संपत्तियों की कुर्की कर उक्त राशि वसूलने का निर्देश दिया गया है।
• बार काउंसिल को निर्देशित किया गया है कि अधिवक्ता का लाइसेंस बिना न्यायालय की पूर्व अनुमति के नवीनीकृत न किया जाए।
• तीन साल की सजा पूरी होने के बाद अधिवक्ता की स्थिति पर एक रिपोर्ट न्यायालय के महासचिव को प्रस्तुत की जाएगी।
विधिक प्रतिनिधित्व:
इस मामले में अपीलकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. आई.एम. कुद्दूसी और अन्य अधिवक्ताओं ने पैरवी की, जबकि प्रतिवादी प्रियंका बंसल की ओर से अधिवक्ता अक्षय कुमार और उनकी टीम ने न्यायालय के समक्ष पक्ष रखा।
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न्यायिक निष्कर्ष:
इस निर्णय के साथ ही मामला आधिकारिक रूप से निपटा दिया गया है और सभी लंबित आवेदन समाप्त कर दिए गए हैं।
यह फैसला अधिवक्ता आचरण की मर्यादा और पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश देता है।
Attachment/Order/Judgement – Manoj_Kumar_Sharma_vs__Priyanka_Bansal_250924_175104
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