अदालत ने नकारा देर आये दुरस्त आये मुहावरे का कथन, आरोपी द्वारा समय सीमा के बाद रिवीजन पर राहत देने से किया इंकार

न्यायालय मुख्य सुर्खियां
आरोपी के विरुद्ध वर्ष 2022 में दर्ज हुआ था आपराधिक परिवाद
20 मई 24 को अदालत ने आरोपी को तलब करनें कें आदेश दियें थें

आगरा 02 जनवरी ।

आम जीवन में देर आयें दुरस्त आये कहावत जितनी सार्थक हैं वहीं अदालत में इसका कोई मायने नहीँ है, अदालत में हर प्राविधान का समय नियत हैं । समय सीमा निकल जाने कें बाद प्रस्तुत मामले को निरस्त कर अदालत ने आरोपी को राहत देनें से इंकार कर दिया।

मामलें के अनुसार वादी मुकदमा विशाल उपाध्याय निवासी नई आबादी खतेना लोहामंडी नें ब्रह्म दत्त गुप्ता निवासी न्यू राम नगर, नई आबादी शाहगंज के विरुद्ध वर्ष 2022 में घर में घुस गाली गलौज एवं धमकी देनें का आरोप लगा अदालत में परिवाद पत्र प्रस्तुत किया था।

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उक्त मामलें में संज्ञान लें अधीनस्थ न्यायालय द्वारा आरोपी को मुकदमे के विचारण हेतु तलब करने के आदेश दिये थे।

अधीनस्थ न्यायालय द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध आरोपी द्वारा समय सीमा निकल जानें के बाद रिवीजन सत्र न्यायालय में लिमिटेशन एक्ट की धारा 5 के तहत प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्तुत कर प्रार्थना पत्र स्वीकृत करनें का आग्रह कियाथा ।

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अपर जिला जज 21 माननीय विराट कुमार श्रीवास्तव ने वादी के वरिष्ठ अधिवक्ता गिरधारीलाल चौरसिया के तर्क पर आरोपी के प्रार्थना पत्र को खारिज कर उसे राहत देनें से इंकार कर दिया।

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विवेक कुमार जैन
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