आगरा/नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के जामनगर में स्थित वंतारा वन्यजीव केंद्र की व्यापक जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एस आई टी ) के गठन का आदेश दिया है। यह केंद्र रिलायंस फाउंडेशन द्वारा संचालित है।
जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की खंडपीठ ने वकील सीआर जया सुकिन द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।
हालांकि कोर्ट ने कहा कि याचिका में लगाए गए आरोप बिना किसी ठोस सबूत के थे, फिर भी इन आरोपों की सत्यता का पता लगाने और न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक स्वतंत्र जांच जरूरी है।
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एसआईटी के प्रमुख और सदस्य:
इस एसआईटी का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जे. चेलमेश्वर करेंगे। टीम के अन्य सदस्यों में जस्टिस राघवेंद्र चौहान (उत्तराखंड और तेलंगाना हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस), हेमंत नागराले (पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त) और अनीश गुप्ता (अतिरिक्त आयुक्त सीमा शुल्क, (आईआरएस ) शामिल हैं।
जांच का दायरा:
एसआईटी को कई पहलुओं पर जांच करने और अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है, जिनमें शामिल हैं:
* भारत और विदेशों से जानवरों, विशेष रूप से हाथियों के अधिग्रहण की प्रक्रिया।
* वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और चिड़ियाघरों के लिए बनाए गए नियमों का पालन।

* वनस्पतियों और जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित सीआईटीईएस नियमों का पालन।
* पशुपालन, चिकित्सा देखभाल, मृत्यु दर और उसके कारणों से संबंधित मानकों की जांच।
* केंद्र के स्थान और वित्तीय अनुपालन से जुड़े आरोपों की पड़ताल।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह आदेश किसी भी संस्था पर संदेह व्यक्त करने के लिए नहीं है, बल्कि एक तथ्य-खोज प्रक्रिया है।
एसआईटी को अपनी रिपोर्ट 12 सितंबर, 2025 तक प्रस्तुत करनी होगी। इस जांच में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, पर्यावरण मंत्रालय और गुजरात राज्य के संबंधित विभागों को एसआईटी का पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया गया है।
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