आगरा ३१ मई ।
राजामंडी बाजार व्यापार मंडल के अध्यक्ष हेमनदास की 28 नवंबर 2014 को गोली मारकर की गई निर्मम हत्या के चर्चित प्रकरण में विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट माननीय पुष्कर उपाध्याय ने तीन आरोपियों प्रांजल, उसके भाई प्रवीन और चेतन को दोषी करार दिया है।
इन तीनों को हत्या, गाली-गलौज, धमकी और आयुध अधिनियम के तहत दोषी माना गया है। अदालत ने सजा सुनाए जाने के लिए 4 जून 2025 की तारीख तय की है।
वहीं, इस मामले में आपराधिक षड्यंत्र रचने के आरोपी सूरज और मोनू वर्मा को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है।
मामले की पृष्ठभूमि:
यह मामला थाना शाहगंज में मृतक हेमनदास के पुत्र सुशील द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे से संबंधित है। सुशील ने अपनी तहरीर में बताया था कि उसके पिता हेमनदास राजामंडी बाजार व्यापार मंडल के अध्यक्ष थे और आरोपी प्रांजल व अन्य से उनकी पुरानी रंजिश चल रही थी।
वर्ष 2009 में प्रांजल ने सुशील के बड़े भाई हरीश पर भरे बाजार जान से मारने की नीयत से तमंचे से फायर किया था, जिसमें प्रांजल कई महीने जेल में रहा था। जेल से छूटने के बाद प्रांजल ने सुशील और हेमनदास को गवाही देने पर जान से मारने की धमकी दी थी।
इसी घटनाक्रम के चलते 28 नवंबर 2014 को जब हेमनदास अपनी स्कूटी से घर से राजामंडी बाजार स्थित अपनी दुकान आ रहे थे, तो गोविंद नगर में साबिर की दुकान के सामने दोपहर करीब दो बजे पीछे से मोटरसाइकिल पर आए प्रांजल, चेतन और प्रवीन ने उन्हें जबरन रोककर गाली-गलौज की और “ज्यादा नेता बनने” की बात कहते हुए गोली मार दी। हेमनदास को इलाज के लिए अस्पताल ले जाते समय उनकी मृत्यु हो गई।
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व्यापारियों का आक्रोश और प्रदर्शन:
हेमनदास की निर्मम हत्या की सूचना मिलते ही राजामंडी बाजार के व्यापारियों में भारी आक्रोश फैल गया। व्यापारियों ने कई दिनों तक बाजार बंद रखकर आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए धरना प्रदर्शन किया था।
पुलिस ने मुकदमे की विवेचना के उपरांत कुख्यात आरोपी प्रांजल, उसके भाइयों चेतन, प्रवीन के अतिरिक्त मोनू वर्मा और सूरज के विरुद्ध अदालत में आरोप पत्र प्रस्तुत किया था।
वादी सुशील की भी हत्या:
इस मामले के लंबित रहने के दौरान ही, मामले के वादी सुशील कुमार की 12 जून 2015 को राजामंडी बाजार स्थित उनकी दुकान में ताबड़तोड़ फायरिंग कर इन्हीं आरोपियों द्वारा निर्मम हत्या कर दी गई थी।
इस घटना में हेमनदास का एक अन्य पुत्र मनोज भी गंभीर रूप से घायल हुआ था। आरोप है कि यह हत्या आरोपियों द्वारा वादी को गवाही देने से रोकने के लिए की गई थी।
पुलिस ने आरोपी प्रांजल, उसके भाई प्रवीन और चेतन की गिरफ्तारी के बाद उनकी निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त .315 बोर के तीन तमंचे और कारतूस भी बरामद किए थे।
गवाहों की सुरक्षा और पैरवी:
वादी सुशील की हत्या हो जाने के कारण उनकी गवाही दर्ज नहीं हो सकी थी। इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी गवाह और वादी मुकदमा सुशील के भाई महेश जेसवानी सहित दस गवाहों की पूर्व डीजीसी अशोक कुमार गुप्ता और एडीजीसी हेमंत दीक्षित द्वारा गवाही दर्ज कराई गई।
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मुकदमे के विचारण के दौरान, आरोपियों की तरफ से कहा गया कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है और प्रत्यक्षदर्शी गवाह महेश जेसवानी के बयानों में गंभीर विरोधाभास है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि मृतक हेमनदास दबंग किस्म का व्यक्ति था और व्यापार मंडल अध्यक्ष होने के कारण छोटे व्यक्तियों को परेशान करता था, उसकी बहुत से लोगों से रंजिश थी, और उसी रंजिशवश किसी अज्ञात द्वारा की गई हत्या में उन्हें आरोपित कर दिया गया है।
उक्त मामले के वादी सुशील की दिनदहाड़े गोली मारकर निर्मम हत्या के चलते आरोपियों की इतनी दहशत व्याप्त हो गई थी कि पुलिस प्रशासन द्वारा मृतक के पुत्रों द्वारा मुकदमे की पैरवी हेतु अदालत आने पर उन्हें कड़ी पुलिस सुरक्षा के साथ-साथ बुलेट प्रूफ जैकेट पहनाकर अदालत लाया जाता था।
अदालत का फैसला:
विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट माननीय पुष्कर उपाध्याय ने इस मामले में आरोपी प्रांजल, चेतन और प्रवीन को हत्या, आयुध अधिनियम, गाली-गलौज और धमकी देने के मामले में दोषी पाकर जेल भेजने के आदेश दिए हैं और सजा सुनाए जाने के लिए 4 जून की तारीख तय की है। वहीं, आरोपी मोनू वर्मा और सूरज को सबूतों के अभाव में अदालत ने बरी करने के आदेश दिए हैं।
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