दिल्ली उच्च न्यायालय ने जदयू के पूर्व सदस्य गोविंद यादव की याचिका को किया खारिज
आगरा /नई दिल्ली 2 सितंबर ।
दिल्ली हाई कोर्ट ने जनता दल यू के पूर्व सदस्य गोविंद यादव की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने वर्ष 2016, 2019 और 2022 मे जदयू द्वारा आयोजित आंतरिक पार्टी चुनावों को अवैध घोषित करने के लिए न्यायालय का रुख किया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के अध्यक्ष के रूप में चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया |
गोविंद यादव बनाम भारत संघ और अन्य मामले में 29 अगस्त को पारित आदेश में न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने कहा कि
पूर्व जेडीयू सदस्य गोविंद यादव द्वारा दायर याचिका में कोई दम नहीं है और जेडीयू द्वारा किए गए आंतरिक पार्टी परिवर्तनों में हस्तक्षेप करने का कोई ठोस कारण नहीं है।
न्यायालय ने कहा,
“याचिका में कोई दम नहीं है और यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। नतीजतन, रिट याचिका को लंबित आवेदनों के साथ खारिज किया जाता है। लागत के बारे में कोई आदेश नहीं दिया गया है।”
यादव की याचिका में भारतीय चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए जेडीयू के रिकॉर्ड में शामिल किए गए बदलावों को रद्द करने की मांग की गई थी। उनकी दलील थी कि ये बदलाव जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29(ए)(9) का उल्लंघन है।
धारा 29ए (9) में कहा गया है कि किसी संघ या निकाय के राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत होने के बाद, उसके नाम, मुख्यालय, पदाधिकारियों, पते या किसी अन्य महत्वपूर्ण मामले में किसी भी बदलाव की सूचना बिना देरी किए भारतीय चुनाव आयोग को दी जानी चाहिए।
यादव ने कोर्ट से यह भी कहा था कि जेडीयू द्वारा वर्ष 2016, 2019 और 2022 में कराए गए आंतरिक पार्टी चुनाव पार्टी के संविधान का उल्लंघन हैं।
न्यायालय ने पाया कि यादव द्वारा उठाया गया विवाद पहले जेडीयू के एक गुट द्वारा उठाया गया था और भारतीय चुनाव आयोग ने नवंबर 2017 में नीतीश कुमार के पक्ष में फैसला सुनाया था।
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न्यायमूर्ति कौरव ने कहा कि
यादव द्वारा मांगी गई राहत की प्रकृति जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29ए के तहत जांच के दायरे से पूरी तरह बाहर है।
याचिकाकर्ता गोविंद यादव की ओर से अधिवक्ता पाठक राकेश कौशिक पेश हुए। अधिवक्ता सिद्धांत कुमार और ओम बत्रा भारत के चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए।
Order / Judgement – Govind_Yadav_v_Union_of_India___Ors