अब अगर आगरा पुलिस ने एससी/एस टी मामलों में पीड़ित की नहीं दर्ज की एफआईआर तो मिल सकती है सज़ा

न्यायालय मुख्य सुर्खियां
न्यायालय विशेष न्यायाधीश (एस.सी./एस.टी. एक्ट) / अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश आगरा ने पुलिस आयुक्त आगरा को दिए कड़े निर्देश
न्यायालय में पुलिस द्वारा बीएनएसएस की धारा 173 (4)एवं एस.सी./एस.टी. एक्ट के प्रावधानों का अनुपालन न किए जाने का लिया है संज्ञान
न्यायालय का मानना है कि पुलिस अधिकारियों द्वारा कर्तव्यों के प्रति घोर उपेक्षा व उदासीनता बरती जा रही है है जो घोर आपत्तिजनक है

आगरा १६ अप्रैल ।

आगरा के विशेष न्यायाधीश (एस.सी./एस.टी. एक्ट) / अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश आगरा ने आगरा के पुलिस आयुक्त को निर्देश दिए है कि एससी/एसटी मामलों में पुलिस द्वारा पीड़ितों प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की जा रही है जिसके कारण अदालत में बीएनएसएस की धारा 173(4) के अनेक मामले लंबित है ।

आगरा के पुलिस आयुक्त को 15 अप्रैल को लिखे एक पत्र में विशेष न्यायाधीश (एस.सी./एस.टी. एक्ट)/ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश माननीय पुष्कर उपाध्याय ने लिखा है कि “आपको अवगत कराना है कि इस न्यायालय को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम से संबंधित मामलों की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त है। यह तथ्य न्यायालय के संज्ञान में आया है कि इस न्यायालय में धारा 173(4) बी.एन.एस.एस. से संबंधित कई प्रार्थनापत्र लम्बित हैं। जिनकी सूची पत्र के साथ प्रेषित की जा रही है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 15 क (9) में यह प्रावधान है कि अन्वेषण अधिकारी और थाना अधिकारी का, पीड़ित, सूचनाकर्ता या साक्षियों के अभित्रास, प्रपीड़न या उत्प्रेरणा या हिंसा या हिंसा की धमकियों के विरूद्ध शिकायत को अभिलिखित करने का कर्तव्य होगा, चाहे वह मौखिक रूप से या लिखित में दी गयी हो और प्रथम सूचना रिपोर्ट की एक फोटो प्रति उनको तुरंत निःशुल्क दी जाएगी तथा धारा-10 अधिनियम के अधीन अपराधों से संबंधित सभी कार्यवाहियां वीडियो अभिलिखित होंगी तथा अधिनियम की धारा-4 में कर्तव्य की उपेक्षा के लिए कम से कम छः माह के दण्ड जो कि एक वर्ष तक का हो सकेगा का प्रावधान है।

इस प्रकार उपरोक्त अधिनियम में दिए गए प्रावधान से स्पष्ट है कि पीड़ित / सूचनाकर्ता की प्रथम सूचना रिपोर्ट संबंधित थाने द्वारा दर्ज किया जाना आवश्यक है। जबकि संबंधित थाने द्वारा एस.सी./एस.टी. एक्ट से संबंधित मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नही की जा रही है। जिसके कारण पीड़ित पक्षकार न्यायालय के समक्ष मुकदमा दर्ज कराने हेतु उपस्थित हो रहे हैं, जबकि उपरोक्त अधिनियम में दिए गए प्रावधान के अनुसार पीड़ित/सूचनाकर्ता की प्रथम सूचना रिपोर्ट थाने पर दर्ज की जानी चाहिए, ऐसा न करना पुलिस अधिकारियों द्वारा कर्तव्यों के प्रति घोर उपेक्षा व उदासीनता का परिचायक है तथा घोर आपत्तिजनक है।

Also Read – आगरा जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम का आदेश 45 दिन में नया फ्रिज दे अन्यथा उसकीं कीमत करें अदा

अतः जिले के पुलिस प्रमुख होने के कारण आपको निर्देशित किया जाता है कि आप आगरा जनपद के सभी पुलिस अधिकारियों, थानाध्यक्ष / थाना प्रभारियों को उपरोक्त अधिनियम में दिए गए प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने तथा पत्र के साथ संलग्न सूची में प्रार्थनापत्र अन्तर्गत धारा 173(4) बी.एन.एस.एस. में उल्लिखित पीड़ित / सूचनाकर्ता की रिपोर्ट दर्ज कराया जाना सुनिश्चित करें तथा कृत कार्यवाही से इस न्यायालय को अवगत कराना सुनिश्चित करें, अन्यथा की स्थिति में न्यायालय संबंधित पुलिस अधिकारियों के विरूद्ध धारा-4 एस.सी./एस.टी. एक्ट के तहत दण्डात्मक कार्यवाही के लिए बाध्य होगा।

Stay Updated With Latest News Join Our WhatsApp  – Group BulletinChannel Bulletin
विवेक कुमार जैन
Follow me

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *