राजनैतिक दलों द्वारा मुफ्त देने के वादे (फ्रीबीज)पर नई याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय मुख्य सुर्खियां
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को किया नोटिस जारी
सर्वोच्च अदालत में दाखिल याचिका में मांग की गई है कि राजनैतिक दलों द्वारा मुफ्त देने के वादे (फ्रीबीज) को घोषित किया जाना चाहिए रिश्वत
राजनैतिक दलों के ऐसी स्कीम के वादों से मतदाता होते है प्रभावित

आगरा /नई दिल्ली 16 अक्टूबर ।

फ्रीबीज को लेकर दाखिल नई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों के (मुफ्त सामान) फ्रीबीज देने के वादे को रिश्वत घोषित करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र और भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) को नोटिस जारी किया है।

याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि चुनाव आयोग ऐसे वादों पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल कदम उठाए। साथ ही कोर्ट ने याचिका को मूल याचिका के साथ संलग्न किया। इससे पहले बीजेपी नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने याचिका दायर कर रखी है।

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याचिका में क्या कहा गया ?

लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मुफ्त सामान देने का कई पार्टियां वादा करती है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। हालांकि, अब फ्रीबीज को लेकर एक नई याचिका दायर की है।

इसको लेकर कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है।कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियां जनता से जो मुफ्त की स्कीमों का वादा करती है, उसको रिश्वत घोषित किया जाना चाहिए।साथ ही वोटर को नकदी देने को लेकर जो वादा किया जाता है उस पर एक्शन लेना चाहिए।

साथ ही याचिका में मांग की गई है कि चुनाव से ठीके पहले ऐसी मुफ्त की स्कीमों के ऐलान पर रोक लगनी चाहिए।

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पहले भी दायर हुई याचिका

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने बेंगलुरु के रहने वाले शशांक जे श्रीधर की याचिका पर सुनवाई की।

याचिका में कहा गया है,

“मुफ्त की स्कीम के वादों से सरकारी खजाने पर बेहिसाब वित्तीय बोझ पड़ता है।”

इससे पहले फ्रीबीज को लेकर वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने भी याचिका दायर की थी। उपाध्याय ने याचिका में कहा था कि वोट हासिल करने के लिए फ्रीबीज देने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्योंकि वे संविधान का उल्लंघन करते हैं।

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साथ ही कहा गया था कि चुनाव से पहले मतदाताओं को नकदी देने का वादा उन्हें प्रभावित करता है और चुनाव की शुद्धता को खराब करता है।

याचिका में कहा गया था कि इससे बचा जाना चाहिए।

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साभार: TV9

विवेक कुमार जैन
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