आगरा, 31 मई 2025:
अधिवक्ता परिषद ब्रज द्वारा आज सिंधु जल संधि के निलंबन विषय पर एक महत्वपूर्ण स्वाध्याय मंडल का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम अधिवक्ता परिषद ब्रज के जिलाध्यक्ष प्रवीण रावत की अध्यक्षता में संपन्न हुआ, जिसमें अशोक कुलश्रेष्ठ (पालक अधिकारी, अधिवक्ता परिषद), सुभाष चंद गुप्ता (प्रदेश उपाध्यक्ष) और राजेश कुलश्रेष्ठ (पूर्व प्रदेश मंत्री) का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। कार्यक्रम का संयोजन महामंत्री राजेश कुमार गुप्ता द्वारा किया गया।
इस स्वाध्याय मंडल में प्रवीण रावत, अशोक कुलश्रेष्ठ, सुभाष चंद गुप्ता, राजेश कुलश्रेष्ठ, श्री बसंत गुप्ता (डीजीसी, क्रिमिनल), राधा किशन गुप्ता, सुभाष गिरी और आकाश मिश्रा सहित कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने भारत-पाकिस्तान सिंधु जल संधि के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए।
मुख्य वक्ता का विस्तृत व्याख्यान:
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, आगरा कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्रवक्ता श्री अरुणोदय वाजपेयी ने 19 सितंबर 1960 को हस्ताक्षरित भारत-पाक सिंधु जल संधि का विस्तार से विश्लेषण किया। उन्होंने बताया कि यह संधि मुख्य रूप से पश्चिमी नदियों – सिंधु, झेलम और चिनाब – के जल के उपयोग से संबंधित है। संधि के तहत भारत को इन नदियों के जल का इस्तेमाल घरेलू उपयोग, गैर-उपभोग्य जल उपयोग (Non-Consumptive Use) और कृषि के लिए करने की अनुमति है, जिसमें किसी प्रकार की रुकावट नहीं होनी चाहिए।
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श्री वाजपेयी ने विशेष रूप से गैर-उपभोग्य जल उपयोग से संबंधित चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान लगातार ऐसे किसी भी प्रोजेक्ट पर आपत्ति उठाता रहा है जो भारत इन नदियों पर गैर-उपभोग्य जल उपयोग के लिए लगाना चाहता है। इसी कारण भारत के कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट, जैसे किशनगंगा और तुलबुल परियोजना, पाकिस्तान की आपत्तियों के चलते रुके हुए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान किसी न किसी प्रकार से लगातार भारत के कार्यों में बाधा उत्पन्न करता आ रहा है।
संधि में संशोधन की गुंजाइश और वर्तमान परिप्रेक्ष्य:
श्री वाजपेयी ने यह भी बताया कि सिंधु जल संधि में यह प्रावधान भी है कि इसे संशोधित (Modified) किया जा सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए संधि को निलंबित करना सर्वथा उचित है, क्योंकि इसके दूरगामी परिणाम पाकिस्तान को भुगतने होंगे। उनके इस कथन ने सभागार में उपस्थित सभी अधिवक्ताओं का ध्यान आकर्षित किया और इस विषय पर गहन चिंतन को बढ़ावा दिया।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति:
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कार्यक्रम में मुख्य रूप से अभारानी अग्रवाल, वीरेंद्र दीक्षित, मंगल सिंह, चंद्र प्रकाश सिकरवार, ऋषभ जैन, सतीश चंद्र शर्मा, एस. एन. दुबे, अंजली वर्मा, अमिता राजपूत, पवन दिवाकर, विवेक कुमार वार्ष्णेय, पाल सिंह राठौर, शिवकांत शर्मा, नेहा गुप्ता, अभिनव कुलश्रेष्ठ, संतोष शर्मा, शिवम शुक्ला, नरेंद्र पाठक और अन्य अधिवक्तागण उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समापन शांतिपूर्ण कल्याण मंत्र के साथ किया गया, जिसने गंभीर चर्चा के बाद एक सकारात्मक और सामंजस्यपूर्ण वातावरण प्रदान किया। इस स्वाध्याय मंडल ने सिंधु जल संधि के संवेदनशील और रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया और इसके भविष्य के प्रभावों पर एक महत्वपूर्ण विमर्श प्रस्तुत किया।
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