पीड़ित के परिजनों ने किया आगरा विधिक सेवा प्राधिकरण का आभार व्यक्त
आगरा 10 जनवरी ।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उ०प्र०पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना, के अंतर्गत आगरा विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा लगातार अपराध से पीड़ित व्यक्तियों को निर्धारित प्रकिया के बाद तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है । इस योजना के अन्तर्गत बलात्कार,मानसिक. संताप के कारण हुई हानि या क्षति, संक्षारक पदार्थ अर्थात तेजाब आदि हमले से पीड़ित, मानव तस्करी से पीड़ित, बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा- 4, 6, 7, 9, 11 और 14 के अधीन अपराध, यौन उत्पीड़न (बलात्कार के अतिरिक्त), गर्भ/गर्भ धारण क्षमता की क्षति, पूर्ण/आंशिक विकलांगता, क्रॉस बार्डर फाइरिंग से पीड़ित महिलाएं आदि श्रेणियों में अपराध से पीड़ित व्यक्ति को निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत तत्काल आर्थिक सहायता दिये जाने की व्यवस्था सरकार द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से की जाती है।
आगरा सिविल कोर्ट कंपाउंड स्थित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में अभी तक कई पीड़ितों को इस योजना के अंतर्गत आर्थिक सहायता प्रदान की जा चुकी है। बुधवार को भी पॉक्सो अपराध के दो पीड़ित के परिजनों को ₹ 3,00,000/- एवं ₹ 2,75,000/- की आर्थिक सहायता प्रदान की गई । पीड़ितों के परिजनों से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस आर्थिक सहायता से उन्हें पीड़ित को समाज की मुख्यधारा में लाने, उसकी शिक्षा, उपचार में बहुत सहायक होगी।
इस योजना के संबंध में और अधिक जानकारी देते हुए आगरा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव/ अपर जिला न्यायाधीश माननीय डॉक्टर दिव्यानंद द्विवेदी ने बताया कि :
इस योजना से आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए पीड़ित/पीड़िता के पास विभिन्न व्यवस्थाएं हैं। जैसे कि ट्रॉयल कोर्ट/अपील कोर्ट द्वारा आर्थिक सहायता हेतु संबंधित प्रकरण में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डी०एल०एस०ए०) को संदर्भित किया जाना अथवा पीड़ित/पीड़िता द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जाना और स्वयं आवेदन करना। इस योजना के तहत आने वाले प्रकरण जिला शासकीय अधिवक्ता (क्रिमिनल)/ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी/अभियोजन अधिकारी के माध्यम से भी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पास आवेदन भेजा जा सकता है।सभी प्रकार से आए हुए आवेदनों पर क्षतिपूर्ति परिषद सम्यक विचारोपरांत निर्णय लेती है। उसी के अनुसार पीड़ितों को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश शासन द्वारा इस योजना के संबंध में एक पत्र समस्त जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक को भेजा गया है जिसकी प्रति रजिस्ट्रार, मा०उच्च न्यायालय, इलाहाबाद/लखनऊ औरप्रमुख सचिव, न्याय विभाग, उत्तर प्रदेश शासन को इस अनुरोध के साथ भेजा गया कि वे अपने स्तर से समस्त जिला शासकीय अधिवक्ता (क्रिमिनल) को इस योजना के संबंध में सूचित करने का कष्ट करें।
पत्र में कहा गया है कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डी०एल०एस०ए०) के अध्यक्ष जिला जज होते हैं और सीनियर जुडीशियल मजिस्ट्रेट उसके सचिव होते हैं। यह उ०प्र० पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना पीड़ितों को तत्काल आर्थिक सहायता पहुंचाने के उद्देश्य से बनाई गई है ताकि ट्रॉयल और फाइन्डिग्स समयावधि से बाधित न हों।
इस योजना के अंतर्गत वर्णित अपराधों से पीड़ित/पीड़िता को आर्थिक सहायता दिये जाने हेतु ₹ 0 – 2,00,00,000/- (रूपया दो करोड़) की व्यवस्था न्याय विभाग के बजट में की गयी है, जिसका संचालन राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा किया जा रहा है। जब किसी प्रकार का प्रकरण जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा निर्णीत किया जायेगा, वह प्रक्रियानुसार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से निर्णीत धनराशि प्राप्त कर पीड़ित पीड़िता के खाते में स्थानान्तरित करेगा।
उ०प्र०पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना-2014 के अध्यावधिक संशोधन/अधिसूचना दिनांक 07/06/2016 का उद्देश्य वास्तविक रूप से आम आदमी को तत्काल लाभ मिलने हेतु यह आवश्यक है इस योजना का व्यापक प्रचार प्रसार करने के लिए जिले में अपराध समीक्षा बैठकों में इस योजना की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाय कि जनपद में कुल कितने पीड़ितों द्वारा उपरोक्त अनुसूची के अन्तर्गत आर्थिक सहायता हेतु आवेदन किये हैं और कितने पीड़ितों को इसका लाभ प्राप्त हुआ है।
इसके अतिरिक्त जिला जज के साथ होने वाली जिला स्तरीय मानीटरिंग बैठक में भी जिलाधिकारी/पुलिस अधीक्षक द्वारा उ०प्र०पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना-2014 यथा संशोधन दिनांक 07 जून, 2016 के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा की जायेगी और प्राप्त सूचनाओं को क्रॉस चेक किया जाए ताकि किसी अन्य योजना में दोहरा लाभ न प्राप्त हो सके।
पत्र में यह भी अवगत कराया गया है कि योजना /अनुसूची में उल्लिखित अपराधों से पीड़ित व्यक्तियों की आर्थिक सहायता हेतु प्रदेश में दो योजनायें संचालित हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग की अधिसूचना दिनांक 06/02/2015 द्वारा जारी उत्तर प्रदेश रानी लक्ष्मीबाई महिला सम्मान कोष नियमावली-2015 एवं गृह विभाग की अधिसूचना दिनांक 09/04/2014 द्वारा जारी उ०प्र०पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना-2014 है। (संशोधन 2016)।
उपर्युक्त दोनों योजनाओं में अन्तर यह है कि उत्तर प्रदेश रानी लक्ष्मीबाई महिला सम्मान कोष नियमावली जारी होने की तिथि 06 फरवरी, 2015 से लागू है तथा इस योजना के अन्तर्गत केवल पीड़ित महिलाओं/लड़कियों को ही आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।जबकि उ०प्र०पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना-2014 यथा संशोधन दिनांक 07 जून, 2016 पूर्वगामी तिथि से प्रभावी है तथा इस योजना के अन्तर्गत महिलाओं/बालिकाओं/बच्चों तथा पुरूषों को भी आर्थिक सहायता प्रदान किये जाने की व्यवस्था है। इस योजना के अन्तर्गत न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुसार योजना लागू होने की तथि से पूर्व की घटनाओं से पीड़ित व्यक्तियों को भी आर्थिक सहायता दिये जाने की व्यवस्था है।
अतः यह आवश्यक है पीड़ित/पीड़िता को लाभ दिये जाने के संबंध में सम्यक् परीक्षण करा लिया जाय कि उसे उपुर्यक्त दोनों योजनाओं में से किस योजना के अन्तर्गत लाभ दिया जाना उचित होगा। पत्र में यह भी अपेक्षा की गई है कि दोनों योजनाओं में से उपयुक्त योजना के तहत पीड़ित/पीड़िता को तत्काल आर्थिक के संबंध में समयान्तर्गत कार्यवाही की जाए।
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