आगरा/नई दिल्ली,
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी ) की एक चयन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस प्रक्रिया के तहत की गई कोई भी नियुक्ति या नियुक्ति प्रस्ताव, अदालत के अंतिम निर्णय के अधीन होगी।
यह आदेश पावनी शर्मा बनाम कर्मचारी चयन आयोग मामले में न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति मधु जैन की पीठ द्वारा पारित किया गया।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के. के. शर्मा, मोहित शर्मा, हर्षित अग्रवाल, तुषार बत्रा और उनकी टीम ने ठोस तर्क प्रस्तुत किए, जबकि एसएससी की ओर से केंद्र सरकार के अधिवक्ता अरुणिमा द्विवेदी ने पक्ष रखा।
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मुख्य निर्देश:
• एसएससी को निर्देश दिया गया है कि चयनित सभी अभ्यर्थियों को इस याचिका की लंबित स्थिति की जानकारी दी जाए।
• अदालत ने याचिकाकर्ता को विवादित प्रश्नों की सूची, उत्तर कुंजी में दिए गए उत्तरों और उनकी आपत्तियों को दो सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
• मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर 2025 को निर्धारित की गई है, जिसे देव्यान्शु सूर्यवंशी बनाम एसएससी जैसे समान मामलों के साथ जोड़ा जाएगा।
पृष्ठभूमि:
यह मामला एसएससी की एक परीक्षा की उत्तर कुंजी और चयन प्रक्रिया में संभावित त्रुटियों को लेकर उठाया गया है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि कई प्रश्नों के उत्तर विवादास्पद हैं और इससे चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगता है।
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विशेष टिप्पणी:
न्यायालय ने पहले ही 3 अप्रैल 2025 को एक अंतरिम आदेश में स्पष्ट किया था कि चयन प्रक्रिया के परिणाम अदालत के अंतिम निर्णय पर निर्भर रहेंगे।
कोर्ट के इस आदेश ने उस रुख को दोहराया और एसएससी को पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने को कहा।
Attachment/Order/Judgement – Document
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