आगरा / नई दिल्ली 13 सितंबर ।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को संघ लोक सेवा आयोग की उस अर्जी पर आज नोटिस जारी किया जिसमें अदालत में कथित तौर पर गलत बयान और हलफनामा देने के लिए उनके खिलाफ झूठी गवाही देने की कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई है।
खेडकर पर अपने संघ लोक सेवा आयोग के आवेदन में ”तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने और गलत साबित करने” का आरोप है। 31 जुलाई को संघ लोक सेवा आयोग ने उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी और उन्हें भविष्य की सभी परीक्षाओं और आयोग के चयन से स्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया था।
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खेडकर ने अदालत के समक्ष दावा किया था कि आयोग ने उन्हें आधिकारिक आदेश नहीं दिया और दलील दी कि आईएएस के तौर पर नियुक्ति के बाद प्रेस विज्ञप्ति के जरिए उनकी उम्मीदवारी रद्द होने के बारे में उन्हें सूचित नहीं किया जा सकता था।
अपनी अर्जी में आयोग ने दावा किया था कि खेडकर को 31 जुलाई का पत्र उनके पंजीकृत ईमेल आईडी पर उसी दिन भेज दिया गया। हालांकि, उसने अदालत में गलत बयान दिया कि उसे सेवा नहीं दी गई थी।
मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस ज्योति सिंह ने आज खेडकर के वकील से पूछा कि पूर्व आईएएस अधिकारी ने 28 जुलाई को दाखिल हलफनामा में जबकि 31 जुलाई बाद की तारीख में उन्हें बर्खास्त किए जाने पर सवाल कैसे दाखिल कर दिया था।
वकील ने कहा कि हलफनामा खेडकर को जारी कारण बताओ नोटिस पर आधारित है।
कोर्ट ने इससे प्रभावित हुए बिना खेडकर की याचिका में किए गए एक विशेष अनुरोध की ओर इशारा किया, जिसमें 31 जुलाई की प्रेस विज्ञप्ति का हवाला दिया गया था.
तो आप 28 जुलाई को दायर, हस्ताक्षरित और सत्यापित आवेदन पर 31 जुलाई की प्रेस विज्ञप्ति का जिक्र कर रहे हैं ? जवाब दाखिल करें, न्यायमूर्ति सिंह ने वकील से कहा।
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अदालत ने खेडकर को अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 नवंबर की तारीख तय की।
खेडकर ने जून में अपने परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण के हिस्से के रूप में पुणे कलेक्ट्रेट में कार्यभार ग्रहण किया। उनके खिलाफ आरोप है कि उन्होंने सीएसई पास करने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग और बेंचमार्क विकलांग व्यक्तियों के तहत कोटा का “दुरुपयोग” किया। इस मामले में संघ लोक सेवा आयोग ने खेडकर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
उनका चयन रद्द होने पर उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था। उसे भविष्य की परीक्षाओं से भी रोक दिया गया है। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा दिए गए एक सार्वजनिक बयान के अनुसार, खेडकर के “दुराचार” की एक विस्तृत और गहन जांच से पता चला है कि उन्होंने परीक्षा नियमों के तहत “फर्जी पहचान” करके अपना नाम बदलकर “धोखाधड़ी से अधिक प्रयासों का लाभ उठाया”।
बयान में यह भी कहा गया है कि खेडकर ने अपने पिता और मां के नाम के साथ-साथ अपनी तस्वीर, हस्ताक्षर, ईमेल पता, मोबाइल नंबर और पता भी बदल दिया।
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