दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की के साथ सहमति से संबंध बनाने के लिए 19 वर्षीय लड़के के खिलाफ पोस्को के आरोप किए खारिज

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आगरा / नई दिल्ली 23 सितंबर।

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक केस में मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए 17 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार के अपराध के लिए 19 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर खारिज की, जिसमें यह भी शामिल है कि आरोपी और नाबालिग ने सहमति से यौन संबंध बनाए थे। साथ में एक बच्चे को जन्म दिया और नाबालिग की मां को एफआईआर खारिज करने पर कोई आपत्ति नहीं थी।

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न्यायालय ने कहा कि नाबालिग लड़की अपने बच्चे के साथ अपने माता-पिता के साथ रह रही है। कहा कि यदि एफआईआर खारिज नहीं की जाती है तो यह नाबालिग बच्चे को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा, जिसे अपने माता-पिता से सुरक्षा और देखभाल की आवश्यकता है और तीन व्यक्तियों, दंपति और नवजात शिशु के जीवन को नष्ट कर देगा।

आरोपी पर धारा 363, 366, 376, 506 आईपीसी और धारा 6 पोस्को एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।

19 वर्षीय याचिकाकर्ता और 17 वर्षीय नाबालिग लड़की ने दावा किया कि वे पारिवारिक मित्र थे और प्रेम संबंध में थे। उन्होंने अपनी मर्जी से विवाह किया था।

यह दावा किया गया कि उन्होंने सहमति से यौन संबंध बनाए, जिसके परिणामस्वरूप नाबालिग लड़की गर्भवती हो गई। वह अपनी गर्भावस्था के अंतिम चरण में अस्पताल गई तो अस्पताल ने पुलिस को सूचित किया, क्योंकि वह नाबालिग थी।

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इसके बाद एक एफआईआर दर्ज की गई और याचिकाकर्ता को गिरफ्तार कर लिया गया। नाबालिग की मां जो उसकी कानूनी अभिभावक है, उसने हलफनामा दायर किया। इस हलफनामा में कहा गया कि उसे एफआईआर रद्द करने पर कोई आपत्ति नहीं है और पक्षों के बीच समझौता दर्ज किया गया।

राज्य/प्रतिवादी ने याचिका का विरोध किया और तर्क दिया कि अभियोक्ता नाबालिग थी, इसलिए वह कानूनी रूप से सहमति देने में सक्षम नहीं थी। ऐसे मामलों में समझौता स्वीकार्य नहीं है।

सभी संबंधित पक्षों के बयानों को ध्यान में रखते हुए जस्टिस अनीश दयाल ने टिप्पणी की,

“न्यायालय ने अभियोक्ता और उसके माता-पिता के साथ व्यापक बातचीत की और यह पता चला कि अभियोक्ता के माता-पिता इस रिश्ते के बारे में जानते थे।”

कोर्ट ने कहा कि उसके माता-पिता ने उसके और उसके बच्चे के लिए चिंता व्यक्त की थी। वे बेटी की परिपक्वता की कमी और गलती के प्रति सजग हैं, जिसके कारण उसने बच्चे को जन्म दिया।

कोर्ट ने कहा कि विभिन्न हाईकोर्ट ने पहले भी इसी तरह की परिस्थितियों में एफआईआर रद्द की। इसने तरुण वैष्णव बनाम राजस्थान राज्य के मामले का हवाला दिया, जिसमें पी पी और अन्य, 2022 के माध्यम से राजस्थान हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द की थी। उक्त मामले में 16 वर्षीय अभियोक्ता और 22 वर्षीय आरोपी एक रोमांटिक रिश्ते में शामिल थे।

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कोर्ट ने कहा कि गलती जो अपराध बन सकती थी, दो व्यक्तियों के अपरिपक्व कृत्य और अनियंत्रित भावनाओं के कारण हुई थी।

इस प्रकार कोर्ट ने एफआईआर रद्द की। इसने कहा कि यह राहत को संशोधित करने और मानवीय आधार पर विचार करने के लिए अपनी अंतर्निहित शक्तियों का उपयोग करने के लिए असाधारण परिस्थिति है।

केस टाइटल- सुजीत कुमार बनाम राज्य (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार)

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विवेक कुमार जैन
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