आगरा / नई दिल्ली 14 सितंबर ।
दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट के चार सह-मालिकों को 30 जनवरी तक अंतरिम जमानत दे दी है। इस बेसमेंट में 27 जुलाई को सिविल सेवा के तीन उम्मीदवारों की डूबने से मौत हो गई थी।
जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि
अंतरिम राहत याचिकाकर्ताओं परविंदर सिंह, तजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह के रेड क्रॉस सोसाइटी के पास पांच करोड़ रुपये जमा कराने पर निर्भर है, जिसका उपराज्यपाल कोचिंग सेंटरों के संचालन को सुचारू बनाने के लिए उपयोग करेंगे।
पीठ ने उपराज्यपाल से पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त करने का भी अनुरोध किया है, जो यह सुनिश्चित करे कि कोई भी कोचिंग सेंटर बिना अनुमति के नहीं चलाया जाए।
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जस्टिस शर्मा ने सरकार से कोचिंग सेंटरों के संचालन के लिए एक ‘निर्दिष्ट स्थान’ बनाने को कहा है।
याचिकाकर्ताओं ने जो कुछ भी किया वह अक्षम्य है। यह लालच का कार्य है उन्होंने पूरी जानकारी होने के बावजूद बेसमेंट को किराए पर दे दिया। लेकिन मैंने व्यक्तिगत स्वतंत्रता के पहलू को भी ध्यान में रखा है और उन्हें 30 जनवरी तक अंतरिम जमानत पर स्वीकार किया है।
याचिकाकर्ताओं को प्रत्येक को 1 लाख रुपये की दो जमानतें भी प्रस्तुत करनी होंगी।
यह मामला भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या) सहित विभिन्न प्रावधानों के तहत दर्ज किया गया है और सीबीआई जांच कर रही है।
आरोप है कि संस्थान के बेसमेंट में अवैध रूप से लाइब्रेरी चल रही थी, जहां छात्र बाढ़ में फंस गए।
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कल सह मालिकों की ओर से उपस्थित वकील ने अदालत को सूचित किया था कि एमसीडी आयुक्त की स्वीकारोक्ति के अनुसार जिस सड़क पर इमारत स्थित है उस तरफ का जल निकासी नाला दुर्घटना के दिन बंद था।
मृतक छात्रों में से एक के परिजनों के लिए पेश वकील ने हालांकि प्रस्तुत किया था कि याचिकाकर्ताओं को जांच पूरी होने तक जमानत नहीं दी जा सकती है।
उन्होंने कहा कि यह कोचिंग सेंटर भवन उपनियमों का उल्लंघन करते हुए चलाया जा रहा था, और यह याचिकाकर्ताओं के “ज्ञान” में था कि बारिश के बाद सड़क पर बाढ़ आ जाती है और यह कि बाढ़ का पानी बेसमेंट में चली जायेगा।
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