इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार की अनुमति से विदेश में किए गए अपराध की सीबीआई कर सकती है जांच
आगरा / प्रयागराज 09 अक्टूबर।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी भारतीय नागरिक के विदेश में किए गए अपराध की जांच सीबीआई कर सकती है। इसके लिए केवल केंद्र सरकार की अनुमति लेना जरूरी है, राज्य सरकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि सीबीआई नोडल एजेंसी है और उसे अपराध की जांच के लिए सिर्फ केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है।
कोर्ट ने मेरठ की युवती की अमेरिका में हुई संदिग्ध मौत की सीबीआई जांच का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति वीके बिड़ला तथा न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने मेरठ की कल्पना माहेश्वरी की याचिका पर दिया है।
याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने पक्ष रखा, इनका कहना था कि याची की पुत्री अंशु माहेश्वरी की शादी सुमित बियानी से हुई थी। शादी के बाद दोनों अमेरिका चले गए, जहां अंशु की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। याची ने दहेज हत्या का आरोप लगाते हुए 28 सितंबर 2023 को मेरठ में एफआईआर दर्ज कराई।
सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व संजय यादव का कहना था कि एफआईआर उत्तर प्रदेश में दर्ज़ है और मृतका यहीं की रहने वाली थी। इसलिए सीबीआई को जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता का तर्क था कि सीआरपीसी की धारा 188 के तहत विदेश में किए गए अपराध की जांच के लिए सीबीआई को सिर्फ केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है।
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कोर्ट ने कहा कि विदेशों में किए गए अपराध की जांच के लिए सीबीआई को नोडल एजेंसी बनाया गया है। इसका अर्थ है कि भारत से बाहर किए गए अपराध की जांच सिर्फ सीबीआई कर सकती है। सीआरपीसी की धारा 188 में प्रावधान है कि भारत के बाहर किए गए अपराध की जांच और ट्रायल देश में केंद्र सरकार की अनुमति से हो सकता है।
हालांकि बताया गया कि राज्य सरकार ने सीबीआई को जांच की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने 15 दिन के भीतर सीबीआई को प्रकरण की जांच शुरू करने का निर्देश दिया है।
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