आगरा में धर्म परिवर्तन के आरोप में पांच लोगों की जमानत याचिका खारिज

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आगरा:

आगरा की जिला अदालत ने धर्म परिवर्तन से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किए गए पांच आरोपियों – कमल कुण्डलानी, अनूप कुमार, श्रीमती मीनू, जय कुमार और श्रीमती नीता – की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं।

इन सभी पर आगरा के शाहगंज थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 112(2), 61(2) और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3/5(1) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

अदालत के आदेश के अनुसार, सभी जमानत प्रार्थनापत्र एक ही मामले से संबंधित थे और इसलिए एक ही आदेश के माध्यम से इनका निस्तारण किया गया। आरोपियों को 2 सितंबर, 2025 से न्यायिक हिरासत में रखा गया है।

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आरोप और अभियोजन पक्ष के तर्क:

अभियोजन पक्ष ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि ये आरोपी एक गिरोह के सक्रिय सदस्य के रूप में काम कर रहे थे। आरोप है कि वे लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए प्रलोभन देते थे और यह अपराध गंभीर और व्यापक प्रकृति का है।

अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि आरोपियों ने सह-आरोपी राजकुमार लालवानी के साथ मिलकर लोगों का धर्म भ्रष्ट करने और उन्हें ब्रेनवाश करने का काम किया।

पुलिस के अनुसार, 2 सितंबर, 2025 को एक छापेमारी में आरोपी और सह-आरोपी राजकुमार के घर से बाइबिल और अन्य ईसाई धर्म से संबंधित सामग्री बरामद की गई।

इसके अलावा, कमल कुण्डलानी के मोबाइल से कुछ वीडियो मिले हैं, जिनमें धर्म परिवर्तन से जुड़ी गतिविधियाँ दिख रही थीं, और उनके पास से 2,600/- रुपये भी बरामद हुए हैं।

सह-आरोपी राजकुमार के फोन में ‘चर्च ऑफ गॉड’ नाम का एक ग्रुप भी मिला है जिसमें 86 सदस्य थे। अभियोजन पक्ष ने यह भी बताया कि व्हाट्सएप चैट और पेटीएम लेनदेन के माध्यम से पैसे का लेन-देन किया गया था, जिसमें लोगों से प्रार्थना के नाम पर पैसे लिए गए थे।

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बचाव पक्ष के तर्क:

बचाव पक्ष के वकीलों ने अपनी दलीलों में कहा कि उनके मुवक्किलों को झूठा फंसाया गया है। उन्होंने तर्क दिया कि प्राथमिक शिकायत में यह नहीं कहा गया है कि किसी को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया गया था।

आरोपियों ने दावा किया कि वे केवल राजकुमार के घर पर प्रार्थना में शामिल थे। उन्होंने यह भी कहा कि कथित घटना का कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है और आरोपियों से अपराध से संबंधित कोई वस्तु बरामद नहीं हुई है।

कमल कुण्डलानी ने बताया कि वह अपनी मां और पत्नी के साथ अपने मामा राजकुमार के घर गया था। श्रीमती मीनू ने कहा कि वह राजकुमार के घर पर सिर्फ साफ-सफाई का काम करती थीं।

वहीं, जय कुमार और नीता ने दावा किया कि वे केवल एक प्रार्थना सभा में गए थे क्योंकि नीता की हाल ही में सर्जरी हुई थी। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी एक बेटी हृदय रोग से पीड़ित है और उसका इलाज चल रहा है।

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अदालत का फैसला:

जिला एव सत्र न्यायाधीश माननीय संजय कुमार मलिक ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि “प्रकरण के समस्त तथ्यों व परिस्थितियों तथा अपराध की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए” जमानत देने का कोई पर्याप्त आधार नहीं है।

अदालत ने कहा कि आरोपियों को सामूहिक रूप से ईसाई धर्म से संबंधित प्रार्थना करते हुए पकड़ा गया था। इसके अलावा, उनके पास से मिले साक्ष्य, जैसे कि ईसाई धर्म से संबंधित पुस्तकें और मोबाइल फोन में पाए गए वीडियो, धर्म परिवर्तन की गतिविधियों की ओर इशारा करते हैं।

गवाहों के बयानों में भी यह बताया गया है कि उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए कहा गया था। इन सभी सबूतों को देखते हुए, न्यायाधीश ने पांचों आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं।

Attachment/Order/Judgement – BA 5043 of 2025 Kamal Kundalani, BA 5044 of 2025 Anup kumar ,BA 5046 of 2025 Smt Meenu and BA 5052 of 2025 Jay kumar 112(2), 61(2) BNS and 3 of 5(1) Dharam Parivartan act rejected order dated 25-09-2025

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विवेक कुमार जैन
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