आगरा/केरल (पलक्कड़ ) 07 फरवरी ।
बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने आपत्तिजनक विज्ञापन मामले में उनके खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट वापस लेने के लिए 03 फरवरी को न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट-II पलक्कड़ केरल के समक्ष आवेदन दायर किया। यह आवेदन सीआरपीसी की धारा 205 के तहत दायर किया गया।आवेदन अदालत के समक्ष रखा गया, जिसने इसे 11 फरवरी को सुनवाई के लिए नियत किया है ।
इससे पहले, अदालत ने जमानती वारंट जारी किए थे और चूंकि कोई भी उपस्थित नहीं था, इसलिए उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए गैर-जमानती वारंट जारी किए गए।

दिव्य फार्मेसी पतंजलि आयुर्वेद की संबद्ध कंपनी है। यह शिकायत औषधि निरीक्षक द्वारा औषधि और जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 की धारा 3, 3 (बी) और 3 (डी) के तहत दर्ज की गई। धारा 3 कुछ बीमारियों और विकारों के उपचार के लिए कुछ दवाओं के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाती है। धारा 3 (बी) यौन सुख के लिए मनुष्यों की क्षमता को बनाए रखने या सुधारने का दावा करने वाली दवाओं के विज्ञापनों पर रोक लगाती है। धारा 3 (डी) उन दवाओं के विज्ञापनों पर रोक लगाती है, जो अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों में दिए गए किसी भी रोग, विकार या रोग की स्थिति के निदान, इलाज, शमन, उपचार या रोकथाम का दावा करती हैं।
इस मामले में दिव्य फार्मेसी पहले आरोपी हैं, आचार्य बालकृष्ण दूसरे आरोपी हैं और बाबा रामदेव तीसरे आरोपी हैं।
एलोपैथी जैसी आधुनिक मेडिकल प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए पतंजलि आयुर्वेद के उत्पाद सुप्रीम कोर्ट की जांच के दायरे में थे। बाद में कोर्ट ने एलोपैथी का अपमान करने वाले और कुछ बीमारियों के इलाज के बारे में झूठे दावे करने वाले भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए पतंजलि आयुर्वेद को अवमानना नोटिस जारी किया।
बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद द्वारा जारी सार्वजनिक माफी को स्वीकार करते हुए अवमानना के मामलों को बंद कर दिया।
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साभार: लाइव लॉ
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