प्रयागराज, 26 जून:
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश गिरोहबंद और असामाजिक क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम, 1986 (गैंगस्टर एक्ट) के “सरासर दुरुपयोग” पर कड़ा रुख अपनाते हुए मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और थानाध्यक्ष खालापार को 7 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि थानाध्यक्ष ने गैंगस्टर एक्ट लगाने में मनमानी की, जबकि एसएसपी और डीएम ने लापरवाही बरती।
न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकल पीठ ने मुजफ्फरनगर निवासी मनशाद उर्फ सोना की अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। मनशाद को गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज आपराधिक मामले में सशर्त अंतरिम जमानत पर रिहा करने का भी निर्देश दिया गया है।
क्या है मामला ?
याची मनशाद की ओर से दलील दी गई कि उसके खिलाफ पुराने मामलों के आधार पर गैंगस्टर एक्ट लगाया गया था। इसके बाद, उन्हीं और एक नए मामले में जमानत मिलने के बाद दोबारा उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि यह “कैद की अवधि बढ़ाने के लिए कानून का दुरुपयोग” करने की रणनीति को दर्शाता है। मनशाद मई 2025 से जेल में बंद है।
कोर्ट की कड़ी टिप्पणी:
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि थाना प्रभारी खालापार ने गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज करने में मनमानी की और एसएसपी व जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर ने लापरवाही की है।
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इन अधिकारियों ने अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया, जिससे कोर्ट और सरकार के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हुआ। इसी कारण कोर्ट ने तीनों अधिकारियों को स्पष्टीकरण के साथ व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है।
पीठ ने सहायक सरकारी अधिवक्ता (एजीए ) से पूछा कि पुराने मामलों के आधार पर बार-बार गैंगस्टर एक्ट क्यों लगाया जा रहा है, जिस पर एजीए कोई संतोषजनक कारण नहीं बता सके।
कोर्ट ने जोर दिया कि गैंगस्टर एक्ट का ऐसा यांत्रिक और बार-बार इस्तेमाल न्यायिक निर्देशों और गोरख नाथ मिश्रा बनाम यूपी राज्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में राज्य द्वारा जारी किए गए हालिया दिशा-निर्देशों दोनों का उल्लंघन करता है।
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन:
कोर्ट ने याद दिलाया कि वर्ष 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन को नियंत्रित करने वाले दिशा-निर्देशों को तैयार करने पर विचार करने का निर्देश दिया था।
इस निर्देश के अनुपालन में, राज्य सरकार ने 2 दिसंबर, 2024 को विस्तृत चेकलिस्ट के साथ कुछ निर्देश जारी किए। इन दिशा-निर्देशों को सुप्रीम कोर्ट ने नैनी प्रयागराज स्थित सैम हिग्गिनबाटम युनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चर टेक्नालाजी एंड साइंसेज (शुआट्स) निदेशक विनोद बिहारी लाल से जुड़े मामले में कानूनी प्रवर्तनीयता दी थी।
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