इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि स्तन पकड़ना, पायजामे का नाड़ा तोड़ना दुष्कर्म का अपराध नहीं

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आगरा/प्रयागराज 19 मार्च ।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्तन पकड़ने और पायजामे का नाड़ा तोड़ने को दुष्कर्म की जगह गंभीर यौन उत्पीड़न माना है। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने कासगंज के स्पेशल जज पोक्सो कोर्ट का सम्मन आदेश संशोधित कर दिया है और नए सिरे से सम्मन करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म के आरोप जारी सम्मन विधि सम्मत नहीं है।

यह प्रकरण पटियाली थाने में दर्ज है।

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याची आकाश, पवन व अशोक को आइपीसी की धारा 376 और पोक्सो अधिनियम की धारा 18 के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया गया था। हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आरोपितों के खिलाफ धारा 354-बी आइपीसी ( निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के मामूली आरोप के साथ पोक्सो अधिनियम की धारा 9/10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलाया जाए।

कोर्ट ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कहा, “आरोपी पवन और आकाश के खिलाफ लगाए गए आरोप और मामले के तथ्य इस मामले में दुष्कर्म के प्रयास का अपराध नहीं बनाते हैं।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपियों पवन और आकाश ने 11 वर्षीय पीड़िता के स्तनों को पकड़ा और आकाश ने उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की, लेकिन राहगीरों/गवाहों के हस्तक्षेप के कारण, आरोपित पीड़िता को छोड़कर मौके से भाग गए। उन्होंने दुष्कर्म का अपराध कारित नहीं किया।

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मनीष वर्मा
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