आगरा/प्रयागराज ८ अप्रैल ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेटी और उसके प्रेमी युगल की हत्या के आरोपियों की उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा। कोर्ट ने कहा व्यक्ति झूठ बोल सकता है किन्तु परिस्थितियां नहीं।कहा हत्या का मकसद साफ़ है, भले ही चश्मदीद गवाहों ने बयान बदल दिए ।
कोर्ट ने कहा अपीलकर्ता इब्राहिम कयूम और फारुख जमानत पर है, उन्हें सजा काटने के लिए तुरंत हिरासत में लिया जाए। बाकी अपीलकर्ता सन्नूर, शौकीन, मुसर्रत और अयूब पहले से ही जेल में हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ तथा न्यायमूर्ति पी के गिरि की खंडपीठ ने इब्राहिम व अन्य की अपील को खारिज करते हुए दिया है।
मेरठ के रईस अहमद ने थाना बहसूमा में 2006 मे हत्या के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई। आरोप लगाया कि इब्राहिम का घर उसके घर के सामने है। उसकी पुत्री और शिकायतकर्ता के भाई शराफत के बीच प्रेम संबंध था। शिकायतकर्ता ने दोनों की शादी का प्रस्ताव रखा, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया।
बाद में इसी रंजिश में 5 फरवरी 2006 को इब्राहिम अपने छह पुत्रों व दो अन्य के साथ मिलकर उसके भाई शराफत को अगवा कर लिया गया और हत्या कर दी और बेटी की भी हत्या कर दी। ट्रायल कोर्ट ने सात जनवरी 2013 को आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।जिसे अपील में चुनौती दी गई थी।
कोर्ट ने कहा कि एक व्यक्ति झूठ बोल सकता है, किंतु परिस्थितियां नहीं। बाद में मुकरने वाले गवाहों ने यह स्वीकार किया है कि अज्ञात लोगों द्वारा दोनों की हत्या की गई है।
लेकिन अज्ञात हत्या क्यों करेंगे इसका कारण नहीं बता पाए ? जबकि अपीलकर्ताओं के पास उनके बेटी का मृतक शराफत के साथ संबंध होने से अपमानित होने का मकसद था।
कोर्ट ने सत्र अदालत द्वारा दी गई सजा को सही करार देते हुए अपील खारिज कर दी है।
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