छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को राहत देने से किया इनकार।

उच्च न्यायालय मुख्य सुर्खियां

आगरा / प्रयागराज 11 अक्टूबर।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर (रायपुर के मेयर के भाई) और दो अन्य के खिलाफ उत्तर प्रदेश में शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया है।

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जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा एवं जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित मामले में धन शोधन का मामला रद्द भी कर दिया है, तो भी इससे टुटेजा और अन्य के खिलाफ उत्तर प्रदेश में शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को जारी रखने से नहीं रोका जा सकेगा।

यह आदेश अनिल टुटेजा व अन्य की आपराधिक याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है।

न्यायालय ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) की धारा 50 के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा एकत्र किए गए और उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ साझा किए गए गवाहों के बयान उत्तर प्रदेश (यूपी) में शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही का आधार बने रह सकते हैं।

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टुनेजा और अन्य के खिलाफ मामला कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री काल के दौरान छत्तीसगढ़ में 2,000 करोड़ रुपये के शराब सिंडिकेट रैकेट के संचालन के आरोपों से जुड़ा है। ईडी ने 4 जुलाई 2023 को इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। जांच के दौरान ईडी को यह भी पता चला कि इस मामले का यूपी से भी संबंध है।

ईडी द्वारा दर्ज किए गए गवाहों के बयानों से नोएडा की एक कंपनी के बारे में जानकारी मिली है, जो छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग को होलोग्राम (जो शराब की बोतलों पर प्रमाणीकरण और उत्पाद शुल्क भुगतान की पुष्टि के लिए लगाए जाते हैं) की आपूर्ति के लिए अवैध रूप से निविदाएं दे रही थी।

ईडी द्वारा 28 जुलाई, 2023 को भेजे गए संचार के आधार पर, उत्तर प्रदेश द्वारा 30 जुलाई, 2023 को टुटेजा और अन्य के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) थाना – कासना, ग्रेटर नोएडा में दर्ज की गई।

बाद में इस साल 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की जुलाई 2023 की धन शोधन शिकायत को इस आधार पर खारिज कर दिया कि इसमें कोई पूर्व निर्धारित अपराध नहीं था।

मामले के चार आरोपियों अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी और निरंजन दास ने उत्तर प्रदेश पुलिस की एफआईआर को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

हाईकोर्ट के समक्ष प्रश्न यह था कि क्या उत्तर प्रदेश में दर्ज प्राथमिकी, पीएमएलए की धारा 50 के तहत ईडी द्वारा दर्ज गवाहों के बयानों के आधार पर जारी रह सकती है, जबकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही ईडी की जुलाई 2023 की अभियोजन शिकायत को खारिज कर चुका है।

हाईकोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी बरकरार रहेगी और टुटेजा तथा अन्य याचिकाकर्ताओं के खिलाफ उत्तर प्रदेश में मामला रद्द करने से इनकार कर दिया।

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हाईकोर्ट ने कहा,

मौजूदा मामले में, जहां तक ​​याची अनिल टुटेजा, अरुण पति त्रिपाठी और निरंजन दास का संबंध है, हम पाते हैं कि उनके खिलाफ एफआईआर में एक निश्चित आरोप है और उन्होंने धारा 420, 468, 471 473, 484 और 120-बी आईपीसी के तहत संज्ञेय अपराधों का खुलासा किया है।

अनवर ढेबर के संबंध में हाईकोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद एकत्र किए गए साक्ष्यों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि कथित अपराध में ढेबर की संलिप्तता थी।

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मनीष वर्मा
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