विवेचना अधिकारी भी तलब
कोर्ट ने कहा पति के रिश्तेदारों विवाहिता ननदों पर बिना सबूत क्यों दायर की चार्जशीट ?
आगरा/ प्रयागराज 18 सितंबर।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसपी भदोही को निर्देश दिया है कि बतायें दहेज उत्पीड़न मामले में पुलिस पति के रिश्तेदारों के खिलाफ बिना स्पष्ट आरोप के रूटीन मैनर में चार्जशीट क्यों दाखिल कर रही है ? जबकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि पति के रिश्तेदारों के खिलाफ रूटीन मैनर में दहेज उत्पीड़न केस में चार्जशीट दायर न की जाय।
कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 30 सितंबर को विवेचना अधिकारी को भी हाजिर होने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने शिकायतकर्ता को भी नोटिस जारी की है और याचियों के विरुद्ध उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने अंकित कुमार दूबे व 7 अन्य की याचिका पर दिया है।
याची का कहना है कि पीड़िता ने स्वयं ही धारा 161 के तहत पुलिस को दर्ज करायें बयान में घटना की तिथि का उल्लेख नहीं किया है जबकि एफआईआर में कहा है कि 5 जनवरी 24 को दहेज उत्पीड़न में उसे मार-पीट कर घर से निकाल दिया गया। उनकी शादी 11 मई 22 को हुई थी।
पीड़िता ने सामान्य आरोप लगाते हुए पूरे परिवार को फंसाया है। यहां तक कि दो अविवाहित देवर व दो विवाहित ननद जो अपने घर में रहती है को भी आरोपित किया है और पुलिस ने बिना किसी ठोस सबूत के सभी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है।
कोर्ट ने कहा लगता है पुलिस ने सही विवेचना नहीं की। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि स्पष्ट आरोप के बगैर पति के रिश्तेदारों को रूटीन मैनर में आरोपी न बनाया जाए। याचिका की सुनवाई 30 सितंबर को होंगी।
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